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________________ . नीर्थयात्रादर्शक जैन । [१६९ (२७०. ) सोमेश्वर ग्राम । यहांपर मोटर स्टेशन है। मंगलोरमे यहां तक मोटर आती है । यहांपर आगे छह मोलके चढावका पहाड़ है। सड़क लगी है । मोटरवालोंकी बैलगाड़ी हैं । उनपर बैठालकर पहाड़पर पहुंचा देते हैं । बैठाकर ईघर उधर लोगों करने रहते हैं। पहाड़ ऊपर मागे जानेको दूमरी मोटर तैयार रहती है। उसमें बैठकर तीर्थली उतर पड़े। (२८० ) नीथली। यह शहर अच्छा है। नदी किनारे १ ब्राह्मणकी धर्मशाला है यहांसे मोटर या बैलगाड़ी करके १८ मील हुमच पद्मावती जाना चाहिये । यहांमे हमच तक पक्की सड़क है। मोटरमें जानेमे कम पैसा लगता है । हमच ग्राम भी अच्छा है। यहांसे २ मील "जैन वानी " (मंदिर) को पांवसे जाना चाहिये । अथवा किमी आदमीको माथ लेवे। २ मील का रास्ता है, मोटरबैलगाड़ी भी जाती है। नीर्थलीमे बैलगाड़ी करके ||) सवारी लगता है। १४ मोल तक पकी मड़क है। ४ मील कच्चा रास्ता है। सो बैलगाड़ीवाला मीधा ही मैन वम्नी ले जाना है। बीचसे भी राम्ता फटकर जाता है। हमच नहीं जाना होता है। बैलगाड़ी वाला १-२ दिन ठहर जाता है। लौटकर फिर उसका किराया करना पड़ता है। अपने सुभीता माफिक कार्य करना चाहिये। (२८१ हपच पद्मावती नीर्थ । यहांसे २ मील हमच ग्राम है । इस छोटे ग्रामका नाम भी हूमच है । यहांपर ३० घर दि. जैन व १ मट्टारकनीका
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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