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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक। [१२७ मधुवन चला जावे । ईसरीसे १ रेल गोमोह जंकशन होकर बासनशोल, कलकत्ता तक जाती है। टिकट ३१) गता है। गो गोमोह जंकशनसे गाड़ी बदलकर आदा नंकशन जाती है । आद्रा जंाशनसे एक गाड़ी पुरलिया होकर नागपुर तरफ जाती है। एक गाड़ी भाद्रासे खडगपुर जंकशन जाकर मिलती है । पुरुलियासे १ रेल रांची जाती है। खडगपुरसे १ रेलवे कटक भुवनेश्वर होकर खुग्दा रोड जाती है । एक रेलवे कलकत्ता जाती है। एक खडगपुग्मे जाइ सुकड़ा झालीमाटी होकर सोनो नाकर मिलती है । फिर नागपुर होकर बंबई तक जाती है। बुग्दासे एक रेल जगदीशपुरी जाती है । एक रेलवे बैनवाडा होकर मद्राम तक जाती है । इत्यादि ममझ लेना चाहिये । अब हम नवादा तरफका हाल लिम्बिने हैं। नवादाने टिकट १।।।) देकर नाथनगरका ले लेवे या भागलपुरका ले लेये। (१६) नाथनगर । म्टेशनमे पाव मील दि. जैन धर्मशालामें जाना चाहिये । यहांपर दो धर्मशाला मामने२ हैं। उनमेसे १ तेरापंथी, दूसरी वीसपंथीकी है। दो ही मंदिर, कुआ, कारखाना, भंडार अलगर हैं। यहांकी वंदना करके पांवमे १ मील दूर नाथनगर देखता हुआ चम्पानाला-(चंपापुरी) नावे । (२१७) चंपापुरी। यहांपर पहिले दि० श्वे की धर्मशाला शामिल थी। और दोनों का नीचे ऊपर भंडार था। मो अब श्वेताम्बरियों ने जुम्मे करली है। परन्तु यहांपर दि. जैन मंदिर, प्राचीन प्रतिमा, दो घर
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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