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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक। [११९ १० मील पावापुर चला जावे । फिर पावापुरसे लौटकर बिहार जावे । बिहारसे एक रुपया सवारीमें नवादा तक हमेशा मोटर, तांगा जाते हैं। बीचमें पावापुरनी पड़ता है, ॥) सवारी लगता है। (२०७) सिद्धक्षेत्र पावापुर । __श्री महावीरस्वामीका यहांपर निर्वाण कल्याणक हुआ था। पद्म सरोवरके बीचसे कार्तिक वदो ३० को पिछली रात्रिके २ घडी रहनेपर ७२ मुनियों सहित भगवान मोक्ष पधार गये । नालावमें बड़ा भारी मंदिर और चरणपादुका है। वहांका दर्शन करनेमे ऐमा मालूम होता है कि मानों साक्षात् मोक्षशाली ही है। पानी और फूले हुए कमलोंसे सरोवर सदा प्रफुल्लित रहता है। कार्तिक बदी अमावस्याके दिन यहा बड़ा भारी मेला भरता है । यहांपर दि. श्वे. २-३ वडी २ धर्मशाला हैं । कुल उपर नीचे ८ मंदिर हैं। बगीचा और कुआ है । थोड़ी दूर पावापुर ग्राम है । यहांपर एक दोनों की शामिल धर्मशाला है। १ मंदिर दिगम्बरी है। १ श्वे. भी है । यहांका दर्शन करके जाने के तीन रास्ते हैं-१ गुणावा होकर नवादा जाती है । १ मील दूर गाड़ीका रास्ता कुण्डलपुर जाता है । चाहे निघरसे चला जावे । मब हम विहारसे कुंडलपुरका वर्णन करते हैं। (२०८) वड़ग्राम रोड़ म्टेशनसे १ मील ग्राम है। रास्ता सड़कका है । ग्रामसे उत्तरकी तरफ १ मील ऊपर कुंडलपुर ग्राम है। यहांपर एक धर्मशाला और १ मंदिर है। वहांपर सामान रखकर १ भादमीको साथ लेकर जमीनकी खुदाई देखने जाना चाहिये । जमीन खोद
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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