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________________ ११८] जैन तीर्थयात्रादर्शक। गुड़ यहांका प्रसिद्ध है । लौटकर स्टेशन मावे । फिर ॥4) देकर पटना गुलजारबागका टिकट लेवे । (२०५) पटना-गुलजारबाग । __ स्टेशन के पास १ दि. जैन धर्मशाला है। १ मंदिर और पाममें ही सेठ सुदर्शनका मोक्षस्थान है। वहांपर चरणपादुका भी हैं। यहांकी पूजा करके शहरमें जाना चाहिये । शहर प्राचीन बहुत लंबा चौड़ा है। कारीगरीका काम बहुत होता है। शहरमें कुल पांच मंदिर हैं। १ तमोली गली, २ कचौड़ी गली, ३ बृदाबाबा, ४ गरुड़ा ऊपर, ५ बाजारमें है। सबका दर्शन करना चाहिये । रौटते समय बाजार देखता हुआ गुलनार बाग आनावे । १ पटना सिटी, २ गुलजार बाग, ३ वांकीपुर (पटना जंकशन), ४ सोहनपुर। नदीके उत्सर पार ये ४ स्टेशन पटनामें हैं । सोहनपुरसे १ गाड़ी हाजीपुर होकर कटीहार जंकशन जाकर मिलती है। इधर भी मिथिलापुरी, आसाम, नेपाल, कैलाश पर्वतकी यात्रा है। इसका वर्णन आगे करेंगे । पटनासे टिकट विहार शहरका लेलेवे । ॥) लगता है । बीचमें वखित्यारपुर गाड़ी बदलकर विहार उतर पड़े। १ गाड़ी यहांसे आरा-आगरा जाती है। एक गयाजी जाती है । (२०६) विहार शहर । स्टेशनसे नजदीक १ गली में दि. जैन धर्मशाला और मंदिर है। फिर मालीको साथ लेकर १ मील दूरी शहरमें दि० श्वे. दोनोंकी शामिल धर्मशाला है। वहां भी दोनोंके शामिल मंदिर हैं। ३ प्रतिमा महा मनोहर हैं । यहांका दर्शन करना चाहिये । यहांसे पावापुर नाना चाहिये । तांगा, मोटर, बैलगाड़ी आदि भाड़े करके
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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