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________________ ८८ ] जैन तीर्थयात्रादर्शक | एक पाठशाला, बड़ा मंदिर, कुआ वगैरह नजदीक है । बाजार, (तालाब, जंगल भी है। मंदिरजीमें पांच वेदी पर प्रतिमाएं हैं । यहां पर ५० के करीब दि० जैन घर हैं । बाजार मच्छा, सामान सब मिलता है । यहांसे ४) मवारीमें खनहरा तक मोटर, तांगा, बेलगाड़ी जाती है। पक्की सड़क का रास्ता है। सतना से खजइरा कुल १० मील है । रास्ते में नागोद, पड़रिया, दो ग्राम जैनियोंके पड़ने हैं। ( १५० ) नगोद | यह ग्राम राजासा०का अच्छा है । २ मंदिर और ४० घर दि० जनके हैं। डाक तारघर, राजदरबार, तालाव धर्मशाला, बाजार आदि सब हैं । फिर आगे सडकपर पड़रिया ग्राम है । ( १५१) पडरिया । यहां कुछ घर दि० जैनोंके और १ मंदिर पाठशाला है । ( १५२ ) पन्ना रियासत । यह राजा सा० का अच्छा साफ ग्राम है। सड़क, बाजार, विजली, तारघर, २ तालाब, राजमहल आदि सब इस शहर में हैं । यहां दि० जैन घर बहुत हैं। दो मंदिरों में से एक मंदिर में स्फटिकमणिकी प्रतिमा विराजमान है । दो मंदिर वैष्णवोंके भी हैं । उन्हीं लोगों का माघ - फाल्गुन में बडा भारी मेला भरता है । आगे जाते हुए रास्ते में पश्चिम की ओर एक सड़क फुटकर दश मीलकी दूरीपर अजयगढ़ जाती है। मोटरवालेको १) सवारी ज्यादः देकर वहां पर अवश्य जाना चाहिये । ( १५३) अतिशयक्षेत्र अजयगढ़ । यह स्थान एक पहाड़ीपर चौतरफ खाईपर कोटसे घिरा है ।
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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