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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक । [७१ (११७) जबलपुर शहर । यह शहर बहुत बड़ा है । अनुमान ३०० घर दि. जैनोंके हैं । और १२ मंदिर बड़े हैं, स्टेशनसे शहर तीन मील है, रेल चारों तरफ जाती है। १ इलाहाबाद कटनी, १ बीना सागर, १ गोंदिया, १ नैनपुर सिवनी छिंदवाड़ा, १ इटारसी खण्डवा इत्यादि लाइनें जाती हैं । दमोह मादिकी तरफ मोटर बहुत कम किरायेमें जाती हैं । सो यात्रियोंको हरसमय हरएक जगह पूछ लेना चाहिये । स्टेशनसे २ मीलके फासलापर लाटगंजकी धर्मशाला१ धर्मशाला लाटगंनमें, २ मिलोनीगंजमें है। यहां दोनों जगह बड़े कीमती मंदिर हैं। फिर तालका मंदिर पाव मीलके चक्करमें बहुत सुन्दर २ मंजलका बना हुआ है। रंगविरंगी वेदियां तरहरकी प्रतिमा बिराजमान हैं। और लाटगंनका मंदिर भी ऐसा ही बढ़िया है। उसमें भी १६ वेदीनी हैं। और शहरमें कुल १० मंदिर मलगर हैं, एक आदमीको साथ लेकर दर्शन करना चाहिये । यहांसे एक आदमीको संग लेकर ४ मीलकी दुरीपर नंगल में पहाड़ी ऊपर २ जैन मंदिर हैं इसे मदियानी कहते हैं। यहांपर दर्शनके लिये नाना चाहिये । इस पहाड़ीके पास धर्मशाला, कु, तलाव, बगीचा है । पहाड़ी के पास रास्ते १ छोटासा ग्राम पड़ता है। वहांपर इस पहाड़ीका पुजारी और माली रहता है । सो यहांसे मालीको साथ ले जाना चाहिये और इस ग्राममें भी प्राचीन दो मंदिर में उनका भी दर्शन करना चाहिये। फिर लौटकर जबलपुर भावे, बाजार भादि देखलें, व्यापार भी अच्छा है । लाटगंजकी धर्मशालाके पास मंदिर, कुवा, पाठशाला, दवाखाना आदि सब पमा
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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