SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भी अपनी विविधताको लिए हए अध्ययनीय और महत्त्वपूर्ण है। इस प्रकार यह समग्र ग्रन्थ 'जैन दर्शन और प्रमाणशास्त्र परिशीलन' जैसा ही पाठकोंको उपयोगी और पठनीय सिद्ध होगा । वस्तुत यह उसका द्वितीय भाग है। हम शीघ्र ही डॉ० पन्नालालजी साहित्याचार्यकी मौलिक संस्कृत-रचना 'सम्यक्त्व-चिन्तामणि', आचार्य समन्तभद्रके समग्न अन्योंका संग्रह 'समन्तभद्र-प्रन्यावली' और आचार्य विद्यानन्दकी लघ दार्शनिक कृति 'पत्र-परीक्षा' ये तीन ग्रन्थ भी पाठकोके समक्ष ला रहे हैं । ये तीनो छप चुके है । मात्र कुछ सामग्री (प्रस्तावनादि) छपने के लिए अवशिष्ट है। सिद्धान्ताचार्य प० कैलाशचन्द्रजी शास्त्रीके सम्पादन व अनुवादके साथ आचार्य देवसेनका 'आराधनासार' (सटीक) और श्री मिश्रीलालजी एडवोकेट गनाको मौलिक कृति 'द्वापरका देवता अरिष्ट नेमि ये दो ग्रन्थ प्रेसमें हैं, जो जल्दी प्रकाशमें आवेंगे। जैन साहित्य और इतिहासके विशेषज्ञ एव अनुसन्धाता स्वर्गीय श्री जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' द्वारा संस्थापित यह वीर-सेवा-मन्दिर-टस्ट उनकी परम्परा-जैन साहित्य और इतिहास सम्बन्धी अ सन्धान-प्रवृत्तियों को अपने सीमित साधनोंसे चालू रखे हुए है और आशा है वह आगे भी चालू रहेगी। __ ट्रस्टके सभी ट्रस्टियो, सरक्षक-सदस्यो, सहायको और पाठकोंके हम आभारी हैं, जिनके उदार सहयोग और प्रेरणासे ट्रस्ट साहित्य-सेवा और जिनवाणीके प्रचार-प्रसारमें सलग्न है । अन्तमें महावीर-प्रेसको हम धन्यवाद देते हैं, जो ट्रस्टके ग्रन्थोंका सुन्दर मुद्रण करके हमें सहयोग करता है। महावीर-जयन्ती, डॉ० श्रीचन्द जैन, संगल २५, अप्रेल १९८३ कोषाध्यक्ष एव ट्रस्टी एटा (उ०प्र०) वीर-सेवा-मन्दिर-ट्रस्ट
SR No.010322
Book TitleJain Tattvagyan Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1983
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy