SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 318
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८४ जैन-दर्शन क्षेत्र की अपेक्षा से लोक अलंख्यात योजन कोटाकोटि विस्तार और असंख्यात योजन कोटाकोटि परिक्षेप प्रमाण कहा गया है। इसलिए क्षेत्र की अपेक्षा से लोक सान्त है । काल की अपेक्षा से कोई काल ऐसा नहीं जब लोक न हो, अत: लोक ध्रुव है, नित्य है, शाश्वत है, अक्षय है, अव्यय है, अवस्थित है । उसका अन्त नहीं है। भाव की अपेक्षा से लोक के अनन्त वर्णपर्याय, गन्धपर्याय, रसपर्याय, स्पर्शपर्याय हैं । अनन्त संस्थानपर्याय हैं, अनन्त गुरुलघुपर्याय हैं । अनन्त अगुरुलघुपर्याय हैं । उसका कोई अन्त नहीं। इसलिए लोक द्रव्यदृष्टि से सान्त है, क्षेत्र दृष्टि से सान्त है, कालदृष्टि से अनन्त है, भावदृष्टि से अनन्त है । लोक की सान्तता और अनन्तता का चार दृष्टियों से विचार किया गया है । द्रव्य की दृष्टि से लोक सान्त है, क्योंकि वह संख्या में एक है । क्षेत्र की दृष्टि से भी लोक सान्त है, क्योंकि सकल आकाश में के कुछ क्षेत्र में ही लोक है। वह क्षेत्र असंख्यात कोटाकोटि योजन की परिधि में है। काल की दृष्टि से लोक अनन्त है, क्योंकि वर्तमान, भूत और भविष्यत् का कोई क्षण ऐसा नहीं जिसमें लोक का अस्तित्व न हो। भाव की दृष्टि से भी लोक अनन्त है, क्योंकि एक लोक के अनन्त पर्याय हैं । १-एवं खलु मए खदया ! चउम्विहे लोए पन्नते, तंजहा दवप्रो खेत्तो . कालो भावनो। दव्वो रणं एगे लोए सअंते । खेत्तयो लोए असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीयो पायामविक्खंभेरणं असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ परिक्खेवेणं पन्नत्ता अस्थि पुरण सअंते । कालो रणं लोए ण कयावि न आसी, न कयावि न भवति, न कयावि न भविस्सति, भविस य भवति य भविस्सइ य, धुवे रिणतिए सासते अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे, पत्थि पुरण से अंते ।। __भावग्रो णं लोए अणंता वण्णपज्जवा गंध० रस० फासपज्जवा, अरणंता संठाणपज्जवा, अरणंता गुरु य लहु य पज्जवा अरणंता अगुरु य लह य पज्जवा,नस्थि पण से अंते । से तखंदगा ! दव्वो लोए सघते खेत्तो लोए सते, कालतो लोए अगते, भावग्रो लोए अणंते । --भगवती सूत्र, २।१।६०
SR No.010321
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1959
Total Pages405
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy