SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६ ) अरूपी जीव के दस भेद : [१] धर्मास्तिकाय का स्कन्ध [२] धर्मास्तिकाय का देश [३] धर्मास्तिकाय का प्रदेश [४] अधर्मास्तिकाय का स्कंध [५] अधर्मास्तिकाय का देश [६] अधर्मास्तिकाय का प्रदेश [७] आकाशास्तिकाय का स्कंध [८] आकाशास्तिकाय का देश [९] आकाशास्तिकाय का प्रदेश [१०] काल द्रव्य । पुण्य तत्व - सामान्य रूप से पुण्य तत्व के दो भेद हैं : [१] द्रव्य पुण्य अर्थात् व्यवहार पुण्य [२] भाव पुण्य अर्थात् निश्चय पुण्य | पुण्य ९ प्रकार से उपार्जन होता है :१. अन्न पुण्य अन्न देने से । २. पाण पुण्य पानी देने से | ३. लयण पुण्य - स्थानादि देने से । ४. शयण पुण्य - शय्या, पाट, पाटला, बाजोट आदि देने से ५. वस्त्र पुण्य कपड़ा आदि देने से । - - - ६. - मन पुण्य मन में शुभ परिणाम रखने से । ७. वचन पुण्य - मुख से शुभ वचन बोलने से । ८. काय पुण्य - शरीर से दूसरों की वैयावच्च करने से, पराया दुख दूर करने से, जीवों को साता उपजाने से | ९. नमस्कार पुण्यं - योग्य पात्र को नमस्कार करने से !. -
SR No.010317
Book TitleJain Tattva Shodhak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTikamdasmuni, Madansinh Kummat
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Swadhyayi Sangh Gulabpura
Publication Year
Total Pages229
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy