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________________ निश्चय-व्यवहारमीमांसा २९५ सप्तभंगीको विषय करनेवाला हो सकता है और नयसप्तभंगीको विषय करनेवाला भी हो सकता है। अतः तत्व और तीर्थको स्थापना करनेके लिए नयप्ररूपणा भी सम्यग्ज्ञानका अंग है ऐसा यहाँ समझता चाहिये। यहाँ तत्त्व पदसे बस्तु व्यवस्था ली गई है और तीर्थ पदसे मोक्षमार्ग लिया गया है। शंका-बाह्य निमिस-नैमित्तिकसम्बन्धमें जो एक द्रव्यको विवक्षित पर्यायको दूसरे द्रव्यकी विवक्षित पर्यायका निमित्त कह कर तथा उसे असद्भूत व्यवहारनयका विषय बतला कर उसकी भी जो सम्यक नयमें परिगणना की गई है सो क्यों ? ___ समाधान-इष्ट प्रयोजनकी सिद्धिके अभिप्रायसे सत्त्व, प्रमेयत्व आदि सामान्य धर्मोके द्वारा दो द्रव्योमें बुद्धि द्वारा एकत्व स्थापित करके यह कहा जाता है कि इसको निमित्त कर यह कार्य हुआ। वस्तुत. कोई भी कार्य अन्यको निमित्त कर नहीं होता, परन्तु दो द्रव्योंकी उन पर्यायोंमें कालप्रत्यासत्ति होनेसे लोकमें और आगममे प्रयोजनवश इस व्यवहारको स्वीकृति मिली हुई है, इसलिए ही ऐसे असद्भूत व्यवहारको उपनयरूपसे सम्यक नयोंमें परिगणित किया गया है। ७ नयोंके भेद यह तो हम पहले ही बतला आये हैं कि प्रत्येक द्रव्य न तो सामान्यात्मक ही होता है और न विशेषात्मक ही होता है। किन्तु वह अंश द्वारा दोनोंको ग्रहण करनेवाला होता है, अतः इनके द्वारा वस्तुको ग्रहण करनेवाले नय भी दो प्रकारके हैं--द्रव्याथिकनय और पर्यायार्थिकनय । जो विकल्पज्ञान पर्यायको गौण करके द्रव्यके सामान्य धर्म द्वारा उसे जानता है वह प्रव्यार्थिक नय है और जो विकल्पज्ञान द्रव्यके सामान्य अंशको गौण कर उसके विशेष धर्म द्वारा उसे ग्रहण करता है वह पर्यायार्थिक नय है। ___ इस प्रकार नैगमनय आदि सात नयों और उनके भेद-प्रभेदोंके आधारभूत मुख्य नय दो ही हैं और उनके आधारसे प्रवृत्त होनेवाला वचन व्यवहार भी दो ही प्रकारसे प्रवृत्त होता है-द्रव्यके सामान्य अंशको मुख्य कर और विशेष अंशको गौण कर प्रवृत्त होनेवाला वचन व्यवहार तथा द्रव्यके विशेष अंशको मुख्य कर और सामान्य अंशको गौण कर प्रवृत्त होनेवाला वचन व्यवहार । द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक ये दो नय मूल है, शेष नय उनके भेद-प्रभेद हैं इस तथ्यको स्पष्ट करते
SR No.010314
Book TitleJain Tattva Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherAshok Prakashan Mandir
Publication Year
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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