SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 119
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९२ : जैन तर्कशास्त्र में भनुमान-विचार हेतुको साध्यका प्रकाशक कहा है, केवल विलक्षणको नहीं । अकलंक और विद्यानन्द द्वारा प्रस्तुत उसके व्याख्यानोंसे भी यही अवगत होता है। आशय यह कि आप्तमीमासाके इस सन्दर्भसे इतना ही ज्ञात होता है कि समन्तभद्रको अन्यथानुपपन्नत्वविशिष्ट त्रिलक्षण हेतुसे होनेवाला साध्यज्ञान अनुमान इष्ट रहा है । सिद्धसेनने २ स्पष्ट शब्दोंमें अनुमानलक्षण दिया है साध्याविनाभुनो लिंगात् साध्यनिश्चायकं स्मृतम् । अनुमानं तदम्रान्तं प्रमाणत्वात् समक्षवत् ॥ साध्यके बिना न होनेवाले लिंगसे जो साध्यका निश्चायक ज्ञान होता है वह अनुमान है। इस अनुमानलक्षणमें समन्तभद्रका हेतुलक्षणगत 'अविरोधतः' पद, जो अन्यथानुपपत्ति-अविनाभावका बोधक है. बीजरूपमें रहा हो तो आश्चर्य नहीं है। अकलंकने न्यायविनिश्चय और लघीयस्त्रय दोनोंमें अनमानकी परिभाषा अंकित की है । न्याय वनिश्चयको अनुमान-परिभाषा निम्न प्रकार है साधनात्साध्यविज्ञानमनुमानं तदत्यये ।। साधन (हेतु) से जो साध्य (अनुमेय) का विशिष्ट (नियत) ज्ञान होता है वह अनुमान है। अकलंकका यह अनुमान-लक्षण अत्यन्त सरल और सुगम है । परवर्ती विद्यानन्द, माणिक्यनन्दि, वादिराज, प्रभाचन्द्र, हेमचन्द्र, धर्मभूषण प्रभृति ताकिकोंने इसीको अपनाया है। स्मरणीय है कि जो साधनसे साध्यका नियत ज्ञान होता है वह साधनगत अविनाभावके निश्चयके आधारपर ही होता है। जब तक साधनके साध्याविनाभावका निश्चय न होगा तब तक उससे साध्यका निर्णय नहीं हो सकता। १. अत्र 'सपक्षणैव साध्यस्य साधर्म्यात्' 'इत्यनेन हेतोस्टेलक्षण्यम् , 'अविरोधात्' इत्यन्यथा नुपपत्तिं च दशयता केवलस्य विलक्षणस्यासाधनत्वमुक्तं तत्पुत्रत्वादिवत् । एकलक्षणस्य तु गमकत्वं नित्यत्वैकान्तपक्षेऽपि विक्रिया नोपपद्यते' इति बहुलमन्यथानुपपत्तरेव समाश्रयणात् । -अष्टश० अष्टस० पृष्ठ २८६ । २. वही, पृष्ठ २८६ । ३. न्यायाव० का०५। ४. भ्या० वि०वि० भा० २।१।
SR No.010313
Book TitleJain Tark Shastra me Anuman Vichar Aetihasik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1969
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy