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________________ अनुमान-समीक्षा : ८ सामान्यके अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। निष्कर्ष यह कि अकलंक, विद्यानन्द और श्रुतसागरको व्याख्याओंके आधारपर मतिज्ञानविशेष--अभिनिबोधविशेष ( स्वार्थानुमान ) भी अभिनिबोध सामान्यका अर्थ लिया जा सकता है। जैसे गोशब्दसे श्यामा आदि गोविशेष अर्थ ग्रहण किया जाता है । ( ४ ) वीरसेनने इसी धवला-टीकामें श्रुतज्ञानका भी व्याख्यान दो स्थलोंपर किया है । वह भो द्रष्टव्य है-- ( क ) तत्थ सुदणाणं णाम इंदिएहि गहिदत्थादो तदो पुधभूदत्थग्गहणं, जहा-सदादो घडादीणमुवलंमो, धूमादो अग्गिस्सुवलंभो वा। इन्द्रियोंसे ग्रहण किये गये पदार्थसे, उससे पृथक्भूत पदार्थका ग्रहण करना श्रुतज्ञान है । जैसे-शब्दसे घट आदि पदार्थोका जानना, अथवा धूमसे अग्निका ग्रहण करना। ( ख ) मदिणाणेण गहिदत्थादो जमुप्पज्जदि अण्णेसु अत्थेसु णाणं तं सुदणाणं णाम । घूमादो उप्पज्जमाणअग्गिणाणं, णदीपूरजणिदउवरिविछि-विण्णाणं, देसंतरसंपत्तीए जणिद-दिणयरगमणविसयविण्णाणं, सदादो सहत्थुप्पण्णणाणं च सुदणाणमिदि भणिदं होदि। अर्थात् मतिज्ञानके द्वारा ग्रहण किये गये अर्थ के निमित्तसे जो अन्य अर्थोका ज्ञान होता है वह श्रुतज्ञान है। धूमके निमित्तसे उत्पन्न हुआ अग्निका ज्ञान, नदीपूरके निमित्तसे उत्पन्न हुआ ऊपरी भागमें वृष्टिका ज्ञान, देशान्तरकी प्राप्तिके निमित्तसे उत्पन्न हुआ सूर्य का गमनविषयक विज्ञान और शब्दके निमित्तसे उत्पन्न हुआ शब्दार्थका ज्ञान श्रुतज्ञान है । श्रतज्ञानकी इन दोनों व्याख्याओंमें जो उसके उदाहरण दिये गये हैं वे ही सब अनुमानका स्वरूप समझानेके लिए भी दिये जाते हैं। धूमसे अग्निका ज्ञान, नदीपरसे ऊपरी भागमें वर्षाका ज्ञान, देशान्तर-प्राप्तिसे सूर्य में गतिका ज्ञान अनुमानसे किया जाता है, यह प्रसिद्ध है। अतएव श्रुतज्ञानकी इन व्याख्याओंसे अनुमान श्रुतज्ञानके अन्तर्गत सिद्ध होता है । यही कारण है कि वीरसेनको अभिनिबोधसम्बन्धी व्याख्याओंमें अनुमान या स्वार्थानुमान अर्थ उपलब्ध नहीं होता। १. धवला १।९।१।१४, पृ० २१। २. अत्थादो अत्यंतरमुवलंमंतं भणंति सुदणाणं । आभिणिबोहियपुव्वं णियमेणिह सद्दजं पमुहं ॥ -आ० नेमिचन्द्र, गो० जी० ३१४ । ३. धवला ५।५।२१, पृ० २१० ।
SR No.010313
Book TitleJain Tark Shastra me Anuman Vichar Aetihasik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1969
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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