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________________ नन्दीमूत्र - दृष्टिवाद । ज्जानोस गहणी, सखिज्जाश्रो पडिवत्तीयो । से ण अंगट्टयाए इक्कारसमे अगे, दो सुयक्खधा, वीसं ग्रज्झयणा, वीस उद्दमणकाला, वीस समुद्देमणकाला, सखिज्जाई पयसहस्साइ पयग्गेण, संखेज्जा अक्खरा, प्रणता गमा, ग्रणता पज्जवा, परित्ता तसा, प्रणता थावरा, सासय-कड निवद्ध-निकाइया जिणपण्णत्ता भावा ग्राघविज्जति, पण्णविज्जति, परुविज्जति, दंसिज्जति, उवदसि - ज्जति से एव प्राया एवं नाया, एव विष्णाया, एव चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ । से त विवागस्य ( ११ ) 1 सूत्र - ५७ से किं तं दिट्टिवाए ? दिट्टिवाए णं सव्वभावपरूवणा ग्राघविज्जइ, से समासो पचविहे पण्णत्ते, तजहा - परिकम्मे, मुत्ताइ, पुव्वगए, अणुयागे, चूलिया । से कि त परिकम्मे ? परिकम्मे सत्तविहे पण्णत्ते, तंजहा- सिद्धमेणिया परिकम्मे, मणुस्स सेणिया-परिकम्मे, पुटुसेणिया-परिकम्मे, योगाढसेणिया-परिकम्मे, उवसंपज्जणसेणिया - परिकम्मे, विप्पजहणसेणिया-परिकम्मे, चुयाचुयसेनिया परिकम्मे । से कि त सिद्धसेणिया-परिकम्मे ? सिद्धसेणिया - परिकम्मे चउद्दसविहे पण्णत्ते, तजहा - मा उगापयाई, एगट्टियपयाई, ऋटु पयाइ, पाढीमागासपग्रटु याइं केउभूय, रासिद्धं, एगगुण, दुगुण, तिगुण, केउभूय, पडिग्गहो, ससारपडिग्गहो, नदावत्त, सिद्धावत्तं, से तं सिद्धसेणियापरिकम्मे (१) । 1 से किं तं मणुस्स सेणियापरिकम्मे ? मणुस्स सेणियापरिकम्मे चउद्दसविहे पण्णत्ते, तजहा - माउयापयाइ, एगट्ठियपयाई टुपयाइ, पाढोग्रागासपयाइ केउभूयं रासिबद्ध, एगगुणं २७६ }
SR No.010312
Book TitleJain Swadhyaya Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh Sailana MP
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1965
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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