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________________ १-न्याय १८ ३-परोक्ष प्रमाणाधिकार (५६) आगम प्रमाण किसको कहते हैं ? आप्त के वचन आदि से उत्पन्न हुए पदार्थज्ञान को। (६०) आप्त किसको कहते हैं ? परम हितोपदेशक सर्वज्ञदेव को आप्त कहते हैं। (६१) प्रमाण का विषय क्या है ? सामान्य अथवा धर्मी तथा विशेष अथवा धर्म दोनों अंशों का समूहरूप वस्तु प्रमाण का विषय है। ६२. सामान्य किसको कहते हैं ? अनेकता में रहने वाली एकता को सामान्य कहते हैं । ६३. सामान्य के कितने भेद हैं ? दो हैं-तिर्यक् सामान्य व ऊर्ध्व सामान्य । ६४. तिर्यक् सामान्य किसे कहते हैं ? अनेक भिन्न पदार्थों में रहने वाली सामान्यता को तिर्यक् सामान्य कहते हैं, जैसे-खंडी मुण्डी आदि अनेक गौओं में रहने वाला एक 'गोत्व'। ६५. ऊर्च सामान्य किसे कहते हैं ? एक पदार्थ की अनेक अवस्थाओं में रहने वाली एकता को ऊर्ध्व सामान्य कहते हैं, जैसे-कड़े कुण्डल आदि में रहने वाला 'स्वर्ण । (६६) विशेष किसको कहते हैं ? वस्तु के किसी एक खास अंश अथवा हिस्से को विशेष कहते हैं । (अथवा एकता में रहने वाली अनेकता को विशेष कहते हैं। ) (६७) विशेष के कितने भेद हैं ? दो हैं-एक सहभावी विशेष दूसरा क्रमभावी विशेष । (६८) सहमावी विशेष किसको कहते हैं ? वस्तु के पूरे हिस्से तथा उसकी सर्व अवस्थाओं में रहने वाले विशेष को सहभावी विशेष अथवा गुण कहते हैं ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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