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________________ १ - न्याय ३- परोक्ष प्रमाणाधिकार जो-जो कर्म होते हैं वे वे सुख के देने वाले होते हैं, जैसे पुण्य कर्म । इसमें शास्त्र से बाधा आती है, क्योंकि शास्त्र में पाप को दुःख का देने वाला लिखा है । १६ (४४) स्ववचन बाधित किसको कहते हैं ? जिसके साध्य में अपने ही वचन से बाधा आवे, जैसे - मेरी माता बन्ध्या है, क्योंकि पुरुष का संयोग होने पर भी उसको गर्भ नहीं रहता । (४५) अनुमान के कितने अंग हैं ? पांच हैं - प्रतिज्ञा, हेतु, उदाहरण, उपनय और निगमन । (४६) प्रतिज्ञा किसको कहते हैं ? पक्ष और साध्य के कहने को प्रतिज्ञा कहते हैं, जैसे ' इस पर्वत अग्नि है' । (४७) हेतु किसको कहते हैं ? साधन के वचन को ( कहने को ) हेतु कहते हैं, जैसे 'क्योंकि यह धूमवान है' । (४८) उदाहरण किसको कहते हैं ? व्याप्ति पूर्वक दृष्टान्त के कहने को उदाहरण कहते हैं, जैसे--- 'जहाँ जहाँ धूम होता है वहाँ वहाँ अग्नि होती है, जैसे रसोई घर । और जहाँ-जहाँ अग्नि नहीं होती वहाँ-वहाँ धूम भी नहीं होता जैसे तालाब' । (४६) दृष्टान्त किसको कहते हैं ? जहाँ पर साध्य साधन की मौजूदगी या गैर मौजूदगी दिखाई जाय, जैसे- रसोई घर अथवा तालाब | (५०) दृष्टान्त के कितने भेद हैं ? दो हैं - एक अन्वय दृष्टान्त दूसरा व्यतिरेकी दृष्टान्त 1 (५१) अन्वय दृष्टान्त किसे कहते हैं ? जहाँ साधन की मौजूदगी में साध्य की मौजूदगी दिखाई जाय, जैसे - रसोई घर में धूम का सद्भाव होने पर अग्नि का सद्भाव दिखाया गया ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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