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________________ -नय-प्रमाण ३-नय अधिकार ६. ज्ञान व अर्थ में क्या अन्तर है, तथा इनमें से कौन बड़ा है ? ७. नगमादि सातों नयों की प्रवृत्ति का क्रम दर्शाओ, अर्थात् इनके विषयों में स्थूलता व सूक्ष्मता दर्शाओ। ८. क्या ऋजुसूत्रनय में शब्द प्रयोग नहीं होता? फिर इसे अर्थनय क्यों कहा? ६. शब्द प्रयोग की अपेक्षा ऋजुसूत्र व शब्दनय में क्या अन्तर है ? १०. आगम व अध्यात्म पद्धति में क्या अन्तर है ? ११. शब्द, अर्थ व ज्ञान इन तीनों नयों में किस किस अपेक्षा एकता व अनेकता है? १२ 'अमुक वाक्य इस नय का है' ऐसा कहने का क्या तात्पर्य ? १३. द्रव्याथिक व पर्यायाथिक की भाँति तीसरी गुणार्थिक नय क्यों नहीं? १४. निम्न नयों के लक्षण करो द्रव्याथिक, पर्यायाथिक, ज्ञाननय, अर्थनय, व्यंजननय, नैगमनय, संग्रहनय, व्यवहारनय, ऋजुसूत्रनय, शब्दनय, समभिरूढ़नय, एवंभूतनय, निश्चयनय, व्यवहारनय, शुद्ध निश्चयनय, अशुद्ध निश्चयनय, सद्भूत व्यवहारनय, असद्भूत व्यवहारनय, शुद्ध सद्भूत, अशुद्ध सद्भूत, उपचरित असद्भूत, अनुपचरित असद्भुत । १५. निम्न के भेद व लक्षण करो नैगम, संग्रह, व्यवहार, ऋजुसूत्र, निश्चय, व्यवहार । १६. निम्न के उदाहरण देकर उन्हें स्पष्ट करो भूत नैगमनय, भावी नैगमनय, वर्तमान नैगमनय, शुद्ध संग्रह, अशुद्ध संग्रह, शुद्ध व्यवहार, अशुद्ध व्यवहार, शुद्ध निश्चयनय, अशुद्ध निश्चय, शुद्ध सद्भुत, अशुद्ध सद्भूत, उपचरित सद्भूत, अनुरचरित सद्भूत। १७. निम्न नयों में अन्तर दर्शाओ। महासत्ता-अवान्तरसत्ता; शुद्ध संग्रह-अशुद्ध संग्रह; शुद्ध-संग्रह;
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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