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________________ ८-नय-प्रमाण ३३७ ३-नय अधिकार व्यवहार नय है। जैसे—जीव को त्रस व स्थावर के भेद से दो प्रकार का कहना। ५०. व्यवहार नय कितने प्रकार का है ? दो प्रकार का-शुद्ध व्यवहार व अशुद्ध व्यवहार । ५१. शुद्ध व्यवहारनय किसको कहते हैं ? शुद्ध संग्रह के विषय को भेद करने वाला शुद्ध व्यवहार है। जैसे-जीव अजीव के भेद से 'सत्' दो भागों में विभाजित है। ५२ अशुद्ध व्यवहारनय किसको कहते हैं ? अशुद्ध संग्रह के विषय को भेद करने वाला अशुद्ध व्यवहार है । जैसे-संसारी व मुक्त के भेद से जीव दो प्रकार का है। ५३, ऋजुसूत्रनय किसको कहते हैं ? भूत भविष्यत की अपेक्षा न करके वर्तमान पर्याय मात्र को जो ग्रहण करे वो ऋजुसूत्र है। जैसे—बालक एक स्वतन्त्र पदार्थ है, युवा व वृद्ध कोई और ही हैं। ५४. ऋजु सूत्रनय कितने प्रकार का है ? दो प्रकार का-सूक्ष्म व स्थूल । ५५. सूक्ष्म ऋजुसूत्र किसको कहते हैं ? द्रव्य की षट्गुण हानिवृद्धि रूप अवस्थाओं में से किसी एक सूक्ष्म पर्याय मात्र को स्वतन्त्र द्रव्य रूप से ग्रहण करे सो सूक्ष्म ऋजुसूत्र है । इस नय को उदाहरण नहीं हो सकता क्योंकि सूक्ष्म पर्याय वचन गोचर नहीं है । ५६. स्थूल ऋजुसूत्र किसे कहते हैं ? द्रव्य की स्थूल व्यञ्जन पर्याय में से किसी एक को स्वतन्त्र द्रव्य रूप से ग्रहण करे सो स्थूल ऋजुसूत्रनय है। जैसे—मनुष्य एक द्रव्य है अथवा बालक एक स्वतन्त्र व्यक्ति है जिसका संबंध वृद्धत्व से कुछ नहीं। ५७. शब्दनय किसको कहते हैं ? ऋजु सूत्रनय के द्वारा ग्रहण किये गए एकार्थवाची शब्दों में से
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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