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________________ ८-नय-प्रमाण ३३३ ३-नय अधिकार भावी पर्यायों को ग्रहण करता है, उसी प्रकार सहभावी पर्यायों या गुणों को भी ग्रहण कर लेता है। इसलिये तीसरी गुणार्थिक नय की आवश्यकता नहीं। २६. व्यञ्जन नय कितने प्रकार की होती है ? तीन प्रकार की---शब्द नय, समभिरूढनय व एवंभूतनय । ३०. शब्दादि तीनों व्यञ्जन नयों को पर्यायाथिक में क्यों गिना गया? क्योंकि व्यञ्जन या शब्द स्वयं एक पर्याय है, द्रव्य नहीं । ३१. आगम पद्धति की अपेक्षा कुल नयों का चार्ट बनाओ। आगम नय ज्ञाननय अर्थनय व्यञ्जननय या शब्दनय नंगम द्रव्याथिक पर्यायार्थिक शब्द समभिरूढ़ एवंभूत नय | नैगम संग्रह व्यवहार ऋजु सूत्र भूत वर्तमान भावी । सूक्ष्म स्थूल शुद्ध अशुद्ध इस प्रकार आगम पद्धति की अपेक्षा मूल नय सात हैं-नैगम, संग्रह, व्यवहार, ऋजुसूत्र, शब्द, समभिरूढ़ व एवंभूत । ३२. नैगमनय किसको कहते हैं ? नैगम नय क्योंकि ज्ञाननय व अर्थनय दोनों विकल्पों में गिनी गई है, इसलिये इसके लक्षण भी दो प्रकार से किये जाते हैं-एक ज्ञान नय की ओर से दूसरा अर्थनय की ओर से।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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