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________________ ७ / ४ सप्तभंगी श्रधिकार १. सप्तभंगी किसको कहते हैं ? प्रश्नवश एक वस्तु में प्रमाण से अविरुद्ध विधि प्रतिषेध धर्मो की कल्पना सप्तभंगी है । २. प्रमाण से अविरुद्ध कहने से क्या समझे ? अपनी मर्जी से जिस किस प्रकार विधि प्रतिषेध करना सम्यक् सप्तभंगी नहीं है, बल्कि प्रमाण सिद्ध धर्मों का विधि निषेध ही सप्तभंगी है । ३. विधि प्रतिषेध धर्म क्या ? 1 पदार्थ के अनेक विरोधी धर्म युगलों में से प्रत्येक को पृथक पृथक स्याद्वाद पद्धति सहित विस्तार पूर्वक विश्लेषण करके समझाना ही विधि प्रतिषेध कल्पना है । विश्लेषण द्वारा विधि प्रतिषेध ये दो धर्म सात बन जाते हैं । ४. वे सात भंग कौन से हैं ? 7 स्यात् अस्ति एव स्यात् नास्ति एव स्यात् अस्ति नास्ति एव स्यात् अवक्तव्य एव स्यात् अस्ति अवक्तव्य एव, स्यात् नास्ति अवक्तव्य एव और स्यात् अस्ति नास्ति अवक्तव्य एव । ५. क्या सभी भंगों के साथ प्रयुक्त शब्द एक ही अर्थ का प्रकाशक है ? नहीं, प्रकरण व प्रश्नवश प्रत्येक भंग के साथ उसका अर्थ
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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