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________________ ७/२ अनेकान्ताधिकार १. अनेकान्त किसको कहते हैं ? अनेक + अन्त अर्थात अनेक धर्म । वस्तु में वस्तुपने को निपजाने वाली अस्तित्व, वस्तुत्वादि (सामान्य व विशेष आदि) दो विरोधी शक्तियों (धर्मों) का प्रकाशित होना अनेकान्त है। २. वस्तुयें विरोधी शक्तियां कौन सी हैं ? सामान्य व विशेष धर्मों की अपेक्षा करने पर वस्तु में अनन्तों विरोधी शक्तियां देखी जा सकती हैं, परन्तु इनमें से चार प्रधान हैं—सत् व असत्, तत् व अतत्, एक व अनेक, नित्य व अनित्य, ये वस्तु के युग्म चतुष्टय कहलाते हैं । ३. सत् किसको कहते हैं ? पदार्थ की 'सत्ता' स्वचतुष्टय ही है; जैसे घट की सत्ता घट रूप ही है। ४. असत् किसको कहते हैं ? पदार्थ की 'सत्ता' परचतुष्टय स्वरूप नहीं है, जैसे घट की सत्ता पट आदि अन्य वस्तु स्वरूप बिल्कुल नहीं है । इसे ही पहले अत्यन्ताभाव कहा गया है। ५. तत् किसको कहते हैं ? अखण्ड एक द्रव्य में भी द्रव्य का स्वरूप द्रव्यरूप ही है और गुण पर्याय का स्वरूप गुण पर्याय रूप ही।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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