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________________ २ रत्नत्रया धिकार (१ धर्म) १. धर्म किसको कहते हैं ? जो संसार के जीवों को दुःखों से निकालकर उत्तम जो मोक्ष सुख उसमें धरदे, उसे धर्म कहते हैं; अथवा वस्तु के स्वभाव को धर्म कहते हैं । २. धर्म के दोनों लक्षणों का समन्वय करो । 'वस्तु' शब्द से यहां आत्मा नामक वस्तु का ग्रहण करने पर उसका स्वभाव सच्चिदानन्द है । चिदानन्द की प्राप्ति ही मोक्ष शब्द वाच्य है। उसे प्राप्त करने के उपाय को धर्म कहते हैं । ३. आनन्द या मोक्ष की प्राप्ति का उपाय क्या है ? रत्नत्रय । ४. रत्नत्रय किसको कहते हैं ? सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान सम्यग्चारित्र को रत्नत्रय कहते हैं । ( २. सम्यग्दर्शन) ५. दर्शन किसको कहते हैं ? श्रद्धा, रुचि या प्रतीति रूप अन्तरंग के सामान्य अवलोकन को दर्शन कहते हैं । ६. दर्शन कितने प्रकार का होता है ! दो प्रकार का - सम्यक् व मिथ्या ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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