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________________ ६- तत्वार्थ ६. जीव तत्व किसको कहते हैं ? ज्ञान दर्शन आदि चेतनात्मक गुणों का समूह जीव द्रव्य ही जीव तत्व है । २६३ १- तव पदार्थाधिकार ७. अजीव तत्व किसको कहते हैं ? जीव से अतिरिक्त पुद्गलादि शेष पांच द्रव्य ही अजीव तत्व हैं । अथवा जो न स्वयं अपने को जाने न दूसरे को ऐसे सर्व पदार्थ अजीव हैं, भले ही वे द्रव्य हों गुण हों या पर्याय । इस प्रकार अजीव द्रव्य तो अजीव हैं, ही, जीव के ज्ञान दर्शन - आदिक प्रकाश स्वभावी गुणों के अतिरिक्त राग द्वेषादि सभी विकारी गुण या भाव व उसकी प्रदेशात्मक आकृति भी अजीव है । यह कथन भेद विवक्षा से है सर्वथा नहीं । ८. आस्रव किसको कहते हैं ? आने के द्वार को आव तत्व कहते हैं, अर्थात जीव में कर्मों के आने की आस्रव कहते हैं । ६. कर्म कितने प्रकार के होते है ? तीन प्रकार के - भाव कर्म, द्रव्य कर्म, नोकर्म । १०. भावकर्म किसको कहते हैं ? जीव के रागद्वेषादि मोहजनित परिणामों को भावकर्म कहते हैं। ११. द्रव्य कर्म किसको कहते हैं ? उपरोक्त भाव कर्मों के निमित्त से कार्माण वर्गणा रूप जो पुद्गल स्कन्ध ज्ञानावरणीय आदि अष्ट कर्म रूप से परिणत होकर जीव के साथ बन्ध को प्राप्त होता है, वह द्रव्य कर्म है । १२. नोकर्म किसको कहते हैं ? उपरोक्त भाव कर्म के निमित्त से ही आहारक वर्गणा रूप जो यह स्थूल शरीर अथवा जगत के सभी दृष्ट पुद्गल स्कन्ध कर्म हैं, क्योंकि वे सभी किसी न किसी के शरीर ही हैं या थे । १३. तीनों प्रकार के ये कर्म जीव हैं या अजीव ? द्रव्य कर्म व नोकर्म तो पुद्गल वर्गणा जनित होने से अजीव हैं
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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