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________________ ४-भाव व मार्गणा २३८ ४-लोकाधिकार योजन की ऊंचाई तक अर्थात ११० योजन आकाश में एक राजू मात्र तिर्यक् लोक में ज्योतिष्क देव निवास करते हैं। (8) वैमानिक देव कहां रहते हैं ? ऊर्ध्वलोक में। (१०) मनुष्य कहां रहते हैं ? नर लोक में। (११) लोक के कितने भेद हैं ? तीन हैं—ऊर्ध्वलोक, मध्यलोक और अधोलोक । (१२) अधोलोक किसको कहते हैं ? मेरु के नीचे सात राजू अधोलोक हैं। (१३) ऊर्ध्वलोक किसको कहते हैं ? मेरु के ऊपर लोक के अन्त पर्यन्त (७ राजू) ऊवलोक है। (१४) मध्यलोक किसको कहते हैं ? एक लाख चालीस योजन मेरु की ऊंचाई के बराबर मध्यलोक (१५) मध्यलोक का विशेष स्वरूप क्या है ? मध्य लोक के अत्यन्त बीच में एक लाख योजन चौड़ा गोल (थाली के आकार) जम्बूद्वीप है । जम्बूद्वीप के बीच में एक लाख योजन ऊंचा सुमेरू पर्वत है, जिसका एक हजार योजन जमीन के भीतर मूल है। निन्याणवे हजार योजन पृथिवी के ऊपर है । और चालीस योजन की चूलिका (चोटी) है। जम्बू द्वीप के बीच में पश्चिम पूर्व की तरफ लम्बे छ: कुलाचल पर्वत पड़े हुए हैं जिनसे जम्बूद्वीप के सात खण्ड हो गए हैं। इन सात खण्डों के नाम इस प्रकार हैं-भरत, हैमवत, हैरि, विदेह, रम्यक, हैरण्यवत, ऐरावत । विदेह क्षेत्र में मेरु से उत्तर
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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