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________________ ४- भाव व मार्गणा २३६ (२५) ज्योतिष्क देवों के कितने भद हैं ? पाँच भेद हैं- सूर्य, चन्द्रमा, ग्रह, नक्षत्र, तारे 1 (२६) वैमानिक देवों के कितने भद हैं ? दो हैं- कल्पोपत्र और कल्पातीत । ३ - जन्म व जीव समास (२७) कल्पोपत्र किनको कहते हैं ? जिनमें इन्द्रादिक की कल्पना हो उनको कल्पोपत्र कहते हैं । (२८) कल्पातीत किनको कहते हैं ? जिनमें इन्द्रादिक की कल्पना न हो उनको कल्पातीत कहते हैं । (२६) कल्पोपत्र देवों के कितने भेद हैं ? सोलह - सौधर्म, ईशान, सानत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्म, ब्रह्मोत्तर, लान्तव, कायिष्ठ, शुक्र, महाशक्र शतार, सहस्रार, आनत, प्राणत, आरण, अच्युत । (३०) कल्पातीत देवों के कितने भेद हैं ? तेईस हैं - नववेक, नव अनुदिश, पंच पंचोत्तर ( विजय, वैजयन्त, जयंत, अपराजित, सवार्थ सिद्धि ) । (३१) नारकियों के कितने भ ेद हैं ? पृथिवी की अपेक्षा से सात भेद हैं । (३२) सात पृथिवियों के क्या नाम हैं ? रत्नप्रभा (धम्मा); शर्करा प्रभा ( वंशा), बालुका प्रभा (मेघा ), पंक प्रभा ( अंजना ), धूमप्रभा (अरिष्टा ), तमः प्रभा ( मघवी ), महातमः प्रभा ( माघवी ) ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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