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________________ ४- भाव व मार्गणा ३- जन्म व जीव समास 1 मनुष्य, गाय आदि । जो अण्डे में उत्पन्न हों वे अण्डज हैं, जैसे पक्षी । जो पैदा होते ही भागने दौड़ने लगें वे पोतज हैं; जैसे हिरन । २३४ (८) कौन कौन से जीवों के कौन कौन सा लिंग होता है ? नारकी और सम्मूच्र्छन जीवों के नपुंसक लिंग, देवों के स्त्रीलिंग व पुलिंग और शेष जीवों के तीनों लिंग होते हैं । (६) जीव समास किसको कहते हैं ? जीवों के रहने के ठिकाने को जीव समास कहते हैं । (१०) जीव समास के कितने भेद हैं ? ( १४ भेद हैं - पांच प्रकार के स्थावरों के सूक्ष्म बादर विकल्प से १० तथा द्वीन्द्रियादि त्रसों के ४ अथवा ) अट्ठानवें-तियंचों के ८५, मनुष्यों के ८, नारकी के दो और देवों के दो । (११) तियंचों के ८५ भ ेद कौन से हैं ? सम्मूर्च्छनके ६६ और गर्भज के १६ । (१२) सम्मूर्च्छन के ६६ भ ेद कौन से हैं ? एकेन्द्रिय के ४२, विकलेन्द्रिय के ई और पंचेन्द्रिय के १८ । (१३) एकेन्द्रिय के ४२ भेद कौन से हैं ? पृथिवी, अप्. तेज, वायु, नित्य निगोद व इतर निगोद इन छहों के बादर सूक्ष्म की अपेक्षा से १२ तथा सप्रतिष्ठित प्रत्येक और अप्रतिष्ठित प्रत्येक को मिलाने से १४ हुए । इन १४ के पर्याप्त, निवं स्यपर्याप्त, और लब्ध्यपर्याप्त इन तीनों की अपेक्षा से ४२ जीवसमास होते हैं । (१४) विकलत्रय के ६ भेद कौन कौन से हैं ? द्वीन्द्रिय वीन्द्रिय अचतरिन्द्रिय के पर्याप्त, निवृत्त्य पर्याप्त ओर लब्ध्यपर्याप्त की अपेक्षा से भेद हुए । र्द (१५) सम्मूर्च्छन पंचेन्द्रियों के १८ भेद कौन कौन से हैं ? जलजर, थलचर, नभचर, इन तीनों के सैनी व असैनी की अपेक्षा से ६ भेद हुए और इन छहों के पर्याप्तक, निवृत्त्य "
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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