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________________ २२.६ २- मार्गणाधिकार परिस्पन्दन को द्रव्य योग कहते हैं । ( विशेष देखो अध्याय २ अधिकार ४) ४- माव व मार्गणा (६५) योग के कितने भेद हैं ? पन्द्रह हैं - मनो योग ४ ( सत्य, असत्य, उभय, अनुभय); वचन योग ४ ( सत्य, असत्य, उभय, अनुभय); काय योग ७ ( औदारिक, औदारिक मिश्र, वैक्रियक, वैक्रियकमिश्र, आहारक, आहारक मिश्र, कार्माण ) । (६६) वेद किसको कहते हैं ? नोकषाय के उदय से उत्पन्न हुई जीव के मैथुन करने की अभिलावा को भाव वेद कहते हैं; और नोकर्म से आविर्भूत जीव के ( शरीर के) चिन्ह विशेषों को द्रव्य वेद कहते हैं । (६७) वेद के कितने भेद हैं ? तीन हैं—स्त्रीवेद, पुरुषवेद, नंपुसकवेद । (६८) कषाय किसको कहते हैं ? जो आत्मा के सम्यक्त्व, देशचारित, सकलचारित और यथाख्यात चारित्र रूप परिणामों को घाते ( क) उसे कषाय कहते हैं । ( ६ ) कषाय के कितने भेद हैं ? सोलह भेद हैं- अनन्तानुबन्धी ४, अप्रत्याख्यानावरण ४, प्रत्याख्यानावरण ४, और संज्वलन४ (विशेष देखो अध्याय ३ अधिकार १ ) ( ७० ) ज्ञान मार्गणा के कितने भेद हैं ? आठ -- मति, श्रुति, अवधि, मनः पर्यय, केवल तथा कुमति, कुश्रुति, कुअवधि । (विशेष देखो अध्याय २ अधिकार ४ ) (७१) संयम किसको कहते हैं ? अहिंसादिक पांच व्रत धारण करने, ईर्यापथ आदि पाँच समिति पालने, क्रोधादि कषायों के निग्रह करने, मनोयोगादि तीनों योगों को रोकने, स्पर्शन आदि पांचों इन्द्रियों को विजय करने को संयम कहते हैं ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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