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________________ १५६ २-द्रव्य गुण पर्याय ५-पर्यायाधिकार कारण उसमें दोनों विभाव पर्याय होती है और परमाणु सर्वथा शुद्ध होने के कारण उसकी दोनों पर्याय शुद्ध होती हैं। ६६. पुद्गल में स्वभाव व विभाव दोनों पर्याय क्यों नहीं हो सकती और जीव में क्यों हो सकती है ? पुद्गल में कर्तत्व का अभाव होने के कारण वह दो ही अवस्था में उपलब्ध होता है-सर्वथा शुद्ध या सर्वथा अशुद्ध । वह अपनी अशुद्ध अवस्था को कर्तृत्व पूर्वक शुद्ध करने का प्रयत्न करते हुए आंशिक शुद्ध दशा को स्पर्श नहीं कर सकता। जब कि जीव में कर्तृत्व बुद्धि होने से वह अपनी अशुद्ध दशा को शुद्ध करने की साधना करता हुआ आंशिक शुद्ध दशा को स्पर्श कर सकता है। वहां आंशिक शुद्ध में ही स्वभाव व विभाव दोनों सम्भव हैं, केवल शुद्ध या केवल अशुद्ध में नहीं। ६७. अर्हन्त भगवान व सम्यग्दृष्टि में कितनी २ पर्याय हैं ? दोनों में तीन तीन प्रकार की पर्याय होती हैं—विभाव व्यंजन तथा स्वभाव व विभाव अर्थ पर्याय; क्योंकि अर्हत भगवान के भावात्मक अंश या उपयोग शुद्ध हो जाने पर भी द्रव्यात्मक भाव अशुद्ध है, जिसके कारण कि उन्हें योगों का सद्भाव बर्तता है। ६८. सिद्ध भगवान में कितनी पर्याय हैं ? केवल दो.- स्वभाव व्यञ्जन व स्वभाव अर्थ । ६९. सिद्ध भगवान की व्यञ्जन पर्याय कैसी होती है ? अन्तिम शरीर से किंचित न्यून । ७०. क्या कोई सिद्ध गाय के आकार के भी होते हैं ? सिद्ध पुरुषाकार ही होते हैं, अन्य किसी आकार के नहीं, क्योंकि अन्य पर्याय से मुक्ति सम्भव नहीं, स्त्री पर्याय से भी नहीं। ७१. ऐसे द्रव्य बताओ जिनको व्यञ्जन पर्याय समान हो ? केवल समुद्घातगत अर्हत, धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, इन
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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