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________________ १२४ -द्रव्य गुण पर्याय ४-जीव गुणाधिकार जाये वह क्षेत्राननुगामी है। इसी प्रकार मृत्यु के पश्चात अगले भव में साथ न जाये वह भवाननुगामी है। १०४. इनमें से तिर्यचों को कौन से होते हैं और मनुष्यों को कोन से कारण सहित बताओ? तिर्यचों को तो हीयमान, अनवस्थित व अननुगामी ही होते हैं, पर मनुष्यों को छहो हो सकते हैं। कारण कि तिर्यंचों के सम्यक्त्वादि गुण जघन्य होते हैं, वृद्धिगत नहीं होते; मनुष्यों के वृद्धिगत भी हो सकते हैं गुण की ही वृद्धि आदि के साथ ज्ञान की वृद्धि आदि का अविनाभाव सम्बन्ध है। १०५. परमावधि किसे कहते हैं और किसे होता है ? तपश्चरण विशेष के प्रभाव से तद्भव मोक्षगामी पुरुषों को ही होता है। जघन्य अवस्था में भी इसका विषय उत्कृष्ट देशावधि से असंख्यात गुणा होता है। वर्द्धमान व अनुगामी ही होता है हीयमान आदि चार भेद सम्भव नहीं। १०६. सर्वावधि किसे कहते हैं और किसे होता है ? . तपश्चरण विशेष से चरम शरीरी मुनियों को ही होता है । इसका विषय उत्कृष्ट परमावधि से भी असंख्यात गुणा होता है। इसमें जघन्य उत्कृष्ट का भेद नहीं। सदा एक रूप अवस्थित व अनुगामी ही रहता है। वर्द्धमान आदि शेष चार भेद इसमें सम्भव नहीं। १०७. परमावधि व सर्वावधि में क्या अन्तर है ? यद्यपि दोनों ही चरम शरीरियों को साधु दशा में विशेष तपश्चरण से ही होते हैं, परन्तु परमावधि में तो जघन्य उत्कृष्ट के विकल्प होते हैं, सर्वावधि में नहीं। वह एक रूप ही होता है। १०८. अवधिज्ञान कैसे उत्पन्न होता है ? सम्यग्दर्शन, चारित्र व तप विशेष द्वारा उत्पन्न होता है ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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