SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 146
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२३ ४- जीव गुणाधिकार कदाचित उत्पन्न हो जाता है, वह क्षयोपशम निमित्तक कहलाता है । ६५. क्षयोपशम निमित्तक अवधिज्ञान कितने प्रकार का होता है ? तीन प्रकार का होता है- देशावधि, परमावधि व सर्वावधि । ६६. देशावधि किसे कहते हैं और किसे होता है ? अत्यन्त अल्प शक्ति का धारण करने वाला देशावधि कहलाता है । तिर्यंच व मनुष्य दोनों को हो जाता है । 1 २- द्रव्य गुण पर्याय ६७ देशावधि ज्ञान कितने प्रकार का होता है ? छः प्रकार होता है - वर्द्धमान हीयमान, अवस्थित अनवस्थित, अनुगामी अननुगामी । ६८. वर्द्धमान अवधिज्ञान किसे कहते हैं ? उत्पत्ति के पश्चात जो निरन्तर उत्तरोत्तर वृद्धिगत होता रहे । EE. हीयमान अवधिज्ञान किसे कहते हैं ? उत्पत्ति के पश्चात जो निरन्तर उत्तरोतर घटता चला जाये । १०० अवस्थित अवधिज्ञान किसे कहते हैं ? उत्पत्ति के पश्चात जो जैसा का तैसा रहे, न घटे न बढ़े । १०१ अनवस्थित अवधिज्ञान किसे कहते हैं ? उत्पत्ति के पश्चात जो निश्चल रहे एक रूप न टिके । कभी घटे कभी बढ़े । १०२. अनुगामी अवधिज्ञान किसे कहते हैं ? यह दो प्रकार का होता है-क्षेवानुगामी और भवानुगामी । उत्पत्ति वाले स्थान से उठकर अन्यत्र चले जाने पर भी जो ज्ञान व्यक्ति के साथ ही रहे वह क्षेत्रानुगामी है, और मृत्यु के पश्चात दूसरे भव में भी साथ जाये सो भवानुगामी है । १०३ अननुगामी अवधिज्ञान किसे कहते हैं ? अनुगामी से उलटा अननुगामी है। यह भी दो प्रकार का हैक्षेत्राननुगामी और भवाननुगामी । उत्पत्ति वाले स्थान से उठकर अन्यत्र जाने पर जो व्यक्ति के साथ न जाये बल्कि छूट
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy