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________________ २-द्रव्य गुण पर्याय ११८ ४-जीव गुणाधिकार ६८. भाव श्रुत किसे कहते हैं ? शास्त्र आदि के शब्द पढ़कर अथवा किसी वक्ता से सुनकर, उन शब्दों का वाच्य वाचक सम्बन्ध जैसा पहिले समझ रखा है वैसा स्मरण करके, शब्द पर से वाच्य पदार्थ का निर्णय कर लेना भाव श्रुत कहलाता है। ६६. कल्पना ज्ञान किसे कहते हैं ? किसी विषय को देखकर या सुनकर अथवा अन्य किसी इन्द्रिय से जानकर जो मन में तत्सम्बन्धी विकल्प आदि उत्पन्न होते हैं, उसे कल्पना ज्ञान कहा जाता है; जैसे घर को देखकर 'इसमें जल भर देने से वह ठण्डा हो जाता है, गर्मियों में इसका प्रयोग अत्यन्त इष्ट है' इत्यादि । ७०. कल्पना ज्ञान कितने प्रकार का होता है ? दो प्रकार का-शृखलाबद्ध व्यर्थ विकल्प और अनुमान ज्ञान । ७१. श्रृंखलाबद्ध विकल्प कैसे होते हैं ? शेखचिल्ली की कल्पनाओं का जो मन में कदाचित एक के पीछे एक रूप से धारा प्रवाही कड़ीबद्ध कल्पनायें आने लगती हैं, वही यहाँ शृंखलाबद्ध विकल्प कहे गए हैं। जैसे-एक भिखारी को मतिज्ञान द्वारा देख व जानकर पहिले देश की भुखमरी का विकल्प जागृत हो जाता है और तदनन्तर 'सरकार में घूसखोरी ही इसका कारण है' ऐसा विकल्प स्वतः सामने आ धमकता है। इसी प्रकार दलबन्दी, चीन की दुष्टता, अमरीका की सहानुभूति, भावी भय की आशंका आदि अनेकों धारावाही कल्पनाओं की शृंखला चल निकलती है। कल्पना की यह अटूट शृंखला किस विषय पर से प्रारम्भ होकर कहाँ पहुँच जायेगी, यह कहा नहीं जा सकता; जैसे भिखारी से प्रारम्भ होकर अमरीका व रूस के युद्ध में प्रविष्ट
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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