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________________ २-द्रव्य गुण पर्याय ३-गुणाधिकार ८१. 'आकार' से क्या समझे? द्रव्य की कुछ न कुछ लम्बाई चौड़ाई मोटाई अथवा गोल चौकोर तिकोन आदि आकृति अवश्य होनी चाहिये, क्योंकि सर्वथा आकृति रहित पदार्थ सम्भव नहीं । वह आकार बड़ा हो या छोटा यह दूसरी बात । ८२. अमूर्तीक द्रव्यों का कोई आकार नहीं होता? नहीं, अमूर्तीक द्रव्यों का भी आकार अवश्य होता है, परन्तु मूर्तीक के आकारवत् वह दिखाई नहीं देता। ८३. आत्मा को निराकार कहते हैं ? निराकार का अर्थ यह नहीं है कि उसका द्रव्य आकार रहित है, बल्कि यह है कि उसे भावप्रधान होने से उसे ज्ञान स्वरूप या चिन्मात्र माना गया है। चेतन प्रकाश निराकार है । ८४. क्या आत्मा भी साकार है ? हां, उसका द्रव्य अर्थात प्रदेशात्य विभाग अवश्य कुछ न कुछ लम्बी चौड़ी मोटी छोटी आकृति वाला है। ५५. आत्मा का आकार कैसा है ? जैसे शरीर में रहता है वैसा ही उसका आकार भी हो जाता है, जैसे घटाकाश का आकार भी घट जैसा होता है। ८६. प्रदेशत्व गुण का क्या कार्य है ? तीन कार्य है---आकार बनाना, परिस्पन्दन करना तथा क्रिया करना। ८७. आकार परिस्पन्दन व क्रिया में क्या अन्तर है ? आकार लम्बाई चौड़ाई मोटाई को कहते हैं और परिस्पन्दन प्रदेशों के भीतरी कम्पन को । परिस्पन्दन के कारण आकार में परिवर्तन होता है । किया तो प्रदेश प्रथमरूप अखंड द्रव्य के गमनागमन का नाम है। ८. प्रदेशत्व गुण को मानने की क्या आवश्यकता ? द्रव्य गुणों व पर्यायों का आधार है । आधार या आश्रय को
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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