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________________ २- द्रव्य गुण पर्याय २१३. छहों द्रव्यों को दो दो भागों में विभाजित करो । ८४ २- द्रव्याधिकार (क) चेतन-अचेतन । जीव चेतन और शेष पांच अचेतन । (ख) मूर्तीक- अमूर्तीक | पुद्गल मूर्तीक और शेष पांच अमूर्तीक । (ग) एक प्रदेशी - बहु प्रदेशी । काल द्रव्य एक प्रदेशी शेष पांच बहु प्रदेशी | (घ) एक व अनेक । धर्म, अधर्म व आकाश एक एक शेष अनेक अनेक | (च) सर्वगत व असर्वगत | आकाश सर्वगत शेष पांच असर्वगत (छ) क्रियावान अक्रियावान जीव | पुद्गल क्रियावान शेष अक्रियावान | (ज) परिणामी - अपरिणामी । जीव व पुद्गल परिणामी शेर्पा अपरिणामी । क्योंकि जीव पुद्गल में ही स्थूल आकार विकार होते हैं अन्य में नहीं । (झ) नित्य - अनित्य । जीव पुद्गल परिणामी होने से अनित्य और शेष चार अपरिणामी होने से नित्य शुद्ध । (ट) क्षेत्रात्मक - अक्षेत्रात्मक । आकाश क्षेत्र प्रधान होने से क्षेत्रात्मक अन्य पांच अक्षेत्रात्मक । (ठ) कारण - अकारण । जीव अकारण शेष पांच कारण । धर्मादि चार तो जीव पुद्गल दोनों के लिये कारण है और पुद्गल जीव के शरीरादि व रागादि का कारण है । (ड) कर्ता - अकर्ता । इच्छावान होने से जीवकर्ता और शेष अकर्ता । (ढ) भोक्ता - अभोक्ता । इच्छावान होने से जीव भोक्ता शेप अभोक्ता । (त) द्रव्यात्मक - भावात्मक । ज्ञानात्मक होने से जीव भावस्वरूप है और जड़ होने से शेष द्रव्य स्वरूप (विशेष देखो आगे प्रश्न नं० २२१) २१४. द्रव्यों के पृथक पृथक अवयव दर्शाओ । (क) जीव के अवयव ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्यादि भाव व उसके असंख्यात प्रदेश |
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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