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________________ . २-द्रव्य गुण पर्याय २-द्रव्याधिकार असंख्यात व अनन्त प्रदेशी भी होते हैं। कालाणु एक प्रदेशी ही है। २१०. द्रव्य में उनके प्रदेश पृथक पृथक रहते होंगे ? नहीं, द्रव्य तो अखण्ड होता है। उसका बड़ा व छोटापना जानने के लिये उसमें प्रदेशों की कल्पना मात्र की गई है । जीव कितने परमाणुओं से मिलकर बना है ? जीव एक अखण्ड चेतन पदार्थ ह । वह किन्हीं परमाणुओं से मिलकर नहीं बना है । परमाणुओं से पुद्गल स्कन्ध बनता है जीव नहीं। (८. द्रव्य सामान्य) २१२. जीव व पुद्गल द्रव्य ही प्रत्यक्ष हैं, शेष चार को मानने को क्या आवश्यकता ? जीव व पुद्गल दोनों द्रव्यों में दो प्रकार के कार्य होते हैंआकार बनाना व परिणमन करना। आकार बनाने के लिये उसे तीन कार्य करने पड़ते हैं-प्रदेशों या परमाणुओं का कहीं से मुड़ना, कहीं से बाहर की ओर निकलना या फैलना और कहीं से भीतर को प्रवेश करना या सुकड़ना । इन चार कार्यों के लिये निमित्त भी चार ही होने चाहिय । तहां फैलने या बाहर को गमन करने के लिये धर्मास्तिकाय, सुकड़ने या भीतर को अवकाश पाने के लिये आकाश और गतिपूर्वक ठहर ठहर कर मोड़ लेने के लिये अधर्मास्तिकाय की आवश्यकता है। अथवा जीव व पुद्गल के चार प्रकार के कार्य दृष्ट हैं--गति करना, ठहरना, एक दूसरे में समाना या अवगाह पाना और भावात्मक परिणमन करना । इन चार कार्यों के निमित्त भी चार ही चाहिये । गति के लिये धर्म, स्थिति के लिये अधर्म, अवकाश के लिये आकाश और परिणमन के लिये ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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