SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 257
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनसिद्धांतसंग्रह। . [२६१ 'शिव थान लयो वसुकर्म नाशि । पद सिद्ध भयो मानन्दरांशि। तुम्हरी प्रतिमा मक्सी मझार । थापी मविजन मानंदकार ॥९॥ तहां जुरत बहुत भवि नीव आय । कर भक्तिभावसे शीश नाय ॥ अतिशय भनेक वहां होत जान । यह अतिशय क्षेत्र भयो महान ॥१०॥ वहां माय भव्य पूना रचात । कोई स्तुति पढ़ते भांति भांति ॥ कोई गावत गांन कला विशाला स्वाताल सहित सुंदरसाल ॥११॥ कोई नाचत मन लानंद पाय | तत थेई थेई थेई थेई ध्वनि कराय॥ छम छम नूपुर बाजत अनुप । अति नटत नाट सुंदर सरूप.३.१.२॥ इस दुम दुम बाजत मृदंग । सननन सारंगी बजति संग ॥ झननन नन शारकरि बजे सोई घननन घननन ध्वनि घण्ट होई॥१शा इस विधि भनि जीव करें अनंद । हैं पुण्यबंध करें पापमंद ।। हम भी बन्दन कीनी अवार | मुदि पौष पंचमी शुक्रवार ॥१॥ मन देखत क्षेत्र बढी प्रयोग जुरमिक पूजन कीनी मुळोग ॥ जयमान गाय भानंद पाय । जय जय श्रीपारस नगति राय ॥१५॥ चत्ता-जय पाचनिनेशं नुत नाकेश चक्रधरेश ध्यावत हैं। .. मन वच भाराधे भव्य समाधे ते सुरशिवफल पावत हैं। 'इत्याशीर्वादः॥ (इति श्रीमक्सीपार्श्वनाथपूजा संपूर्णम् ।) .
SR No.010309
Book TitleJain Siddhanta Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
PublisherSadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
Publication Year
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy