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________________ जैन मिसान्त दीपिका २१ परमान के अंग सदरा विसरा नहीं नहीं नही नहीं नही नही नहीं नही १. जघन्य • जघन्य . अन्य : एकाधिक जघन्य दयधिक जपन्य : यादि अधिक ५. जयन्यता : ममजघन्येतर' ६. जपन्यता : एकाधिकतर ७. जघन्यता : दधिकतर ८. जघन्यता : गादि अधिकतर २२. ममय आदि की काल कहते है। निमेष के असम्यान भाग को समय कहत है। ममय की ममता जानने के लिए 'कमल-पत्र-मंद' और 'जीणं-बम्बफाइना' में दो उदाहरण है।' आदि शद में भावनिका आदि का ग्रहण करना चाहिए। काल के अयानरमंद निम्न प्रकार है. ममय, आवमिका, मुहन, दिवम, अहोगत्र, पक्ष, माम, मम्वरमर, युग, पल्योगम, मागर, अवपिणी, उन्मरिणी पुदगलागवन आदि । १. जघन्य अंश के अतिरिक्त गंप मब २. दोनों ओर अंगों की ममान मंच्या ३. उदाहरण दर परिशिष्ट ?
SR No.010307
Book TitleJain Siddhant Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1970
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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