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________________ श्रीकृष्ण - कथा —कस का पराक्रम —कस के जन्म का रहस्य जानना चाहते है हम 1 अब तक सेठ सुभद्र भी आश्वस्त हो चुका था । किन्तु कस की कर वृत्ति को वह भली-भाँति जानता था । उसने समझा कि कोई बहुत ही गंभीर वात हो गई है । इसीलिए राजा ने यह प्रश्न किया है । विनम्र स्वर मे पूछा —क्या कोई गंभीर अपराध हो गया, महाराज १ ? १६ — नही, अपराध तो नही हुआ किन्तु उसके वश परिचय की आवश्यकता आ पडी । —अभय दे, महाराज 1 -सेठ का हृदय अव भी सशकित था । - तुम पूर्ण रूप से निश्चिन्त रहो । मेरी ओर से अभय है ।— राजा समुद्रविजय ने उसे अभय दिया । महाराज के वचनो से पूर्ण आश्वस्त होकर सेठ कहने लगा — यह बालक मुझे यमुना नदी मे बहती हुई एक कासी की पेटी मे मिला था । कासी की पेटी मे होने के कारण ही इसका नाम कस पडा । उस पेटी में मथुरापति महाराज उग्रसेन और उनकी पटरानी धारिणी की नामाकित मुद्राएँ थी और पत्र तथा कुछ रत्न । वह पत्र इस वात का साक्षी है कि यह महाराज उग्रसेन का ही पुत्र है । ज्यो- ज्यो कस बढ़ता गया त्यो- त्यो उसकी क्रूर प्रवृत्तियाँ उजागर होती गई । वह पडौसियो के बच्चो को मारने-पीटने लगा । मैंने उसे सँभालने का बहुत प्रयास किया किन्तु जब वह मेरी सामर्थ्य से बाहर निकल गया तो दश वर्ष की आयु मे ही मैंने उसे कुमार वसुदेव की सेवा मे अर्पित कर दिया । श्री महाराज | यही है कस के जन्म की कहानी | - कहाँ है, वे नामाकित मुद्रा और पत्र ? – समुद्रविजय ने कस जन्म का रहस्य जानकर पूछा । —घर पर ही है, मैने उन्हें सुरक्षित रूप से रख छोडा है ।— सेठ ने बताया । —तुरन्त जाकर ले आओ । - राजा समुद्रविजय ने आदेश दिया ।
SR No.010306
Book TitleJain Shrikrushna Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1978
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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