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________________ सुनकर कस उन दोनो को बन्दीगृह में डाल देता है । अर्द्ध-रात्रि को वि० पृe स० ३१२८ की भाद्रपद कृष्णा अप्टमी, वृषभन्नग्न, रोहिणी नक्षत, हर्षल योग मे उनका जन्म हुआ। पुत्र की रक्षा हेतु मूसलाधार बरनान में उफनती यमुना नदी को पार कर वसुदेव उन्हे गोकुल में नन्द के पास ले जाते है । वहाँ से वे नन्दसुता को लाते है, जिसे मार कर कम जपनी मन्तुष्टि करता है। इनमे पहिले भी वह इसी प्रकार देवकी के छह पुत्रो को मार चुका है जिन्तु यह कन्या 'तुम्हारा शत्रु तो उत्पन्न हो गया है और गोकुल में वृद्धि पा रहा है' कहकर आकाश में उड जाती है । इसके पश्चात् कृष्ण गोकुल मे बढते है। वहीं बाल-लीलाओ से नन्दमामिनि यशोदा और समस्त गोकुलवासियो को प्रसन्न करते है। कम उनके वध के लिए पूतना आदि राक्षसियो और बकासुर आदि गक्षमो को भेजता है किन्तु कृष्ण उन सबको यमलोक पहुँचा देते हैं। वे इन्द्रपूजा बन्द कराके गोवर्द्धन पूजा प्रारम्भ कराते हैं और इन्द्र के कोप-अतिवृष्टि में गोकुलवासियो की रक्षा करते है । कालिया नाग का दमन करके यमुना के जल को निर्विप करते है । रासलीलाएँ रचाकर गोपियो को प्रसन्न करते है और १२ वर्ष की आयु मे कस-वध करके अपने माता-पिता को बन्दीगृह मे मुक्त करा देते हैं। कस की मृत्यु के कारण जरासघ मथुरा पर १८ बार आक्रमण करता है। मथुरा की प्रजा की विकलता के कारण वे पश्चिम की ओर द्वारिका को चले जाते है । रुक्मिणी से विवाह करते है और द्रौपदी के स्वयवर मे उनकी भेट पाडवो से हो जाती है । भीम के द्वारा जरासध वध करवाते है । छन क्रीडा मे पाडवो के पराजित होने पर द्रौपदी का चीर वढाकर उसकी लाज बचाते है । वनवान की अवधि समाप्त होने पर शान्तिदूत वनकर कौरवो की सभा मे जाते है । वहाँ से असफल होकर लौटते है तो महाभारत युद्ध होता है और उन्ही की नीति से पाटव विजयी होते हैं । इसके पश्चात उपाअनिरुद्ध विवाह आदि छोटी-मोटी अनेक घटनाएँ होती है । कृष्ण-सुदामा मिलन भी तभी होता है । अन्त मे १२० वर्ष की आयु मे वि० पू० ३००८ मे उनका तिरोधान हो जाता है ।
SR No.010306
Book TitleJain Shrikrushna Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1978
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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