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________________ ( ३ ) १८ कन्या विक्रय, वृद्ध विवाह, वाल लग्न करना कराना नहीं. पाठ २रा. सदाचार. १ नीच मनुष्यों की संगत नहीं करना मगर अच्छे मनुष्यों का सहवास रखना. २ किसी को दुःख नहीं देना मगर दुःखी मनुष्यों को यथा शक्ति सहायता दे कर उनके दुःख दूर करना. ३ सलाह पूंछने आवे उसको सच्चे हृदय से सच्ची सलाह देना. ४ स्वधर्मी बन्धुओं की सेवा भक्ति करमा रास्ते में या घर में जहां कहीं स्वधर्मी मिले वहां " जयजिनेन्द्र " कह उन का सत्कार करना. ५ हरदम न्यायका पक्ष लेना मगर अन्याय के पक्ष में कभी नहीं मिलना, पंच में शामिल होना पड़े तो अन्याय नहीं करना. ६ अपकार करने वाले पर भी उपकार करना.
SR No.010304
Book TitleJain Shikshan Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
PublisherJain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publication Year
Total Pages67
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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