SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 10
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७ किसी भी कार्य के आरंभ में नवकार - मंत्र का स्मरण करना. ८ लुच्चे, लपाड़, नातिस्क और भ्रष्ट मनुष्य को घर में नहीं घुसने देना. ९ अपने आश्रित जनों की, हरदम खवर लेना और अनीति के मार्ग में जाने __ हुए या खोटी संगतिसे उनको रोकना. १० द्रव्य होये तो लोभत्ति से उसका सं'चर्य न करते हुए उदारता रखना अच्छीर संस्थाएं स्थापित करना अथवा 'उसमें मदद देना.. ११ आश्रित जानवरों की बराबर सम्हाल लेना, पांजरापोल जैसी संस्थाओं में खुद जाकर देखभाल करना धर्म. दलाली करने से भी बहुत लाभ मिलता है. १२ नाटक चेटक या मोज शोख में पैसे का । दुव्यय न करते हुए कर कंसर करना .. और वचाये हुए धन का अच्छे मार्ग. में व्यय करना.
SR No.010304
Book TitleJain Shikshan Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
PublisherJain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publication Year
Total Pages67
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy