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________________ (८) १२:जिसके असत्य वचन न होवे सो भगवान. १३ जिसको सर्वथा ब्रह्मचर्य होवेसो भगवान. १४ जिसको मत्सर ईर्ष्या न होवे सो भगवान. १५ जिसको सात भय में से कोई भी भय न होवें सो भगवानः .... १६ जो सर्व जीवों को अपने समान गिने ' सो भगवान. .. :: .... १७ जिसको किसी के साथ स्नेहबंधन न ". होवें सो भगवान. . . . .: :: : : १८ जिसको जगतके सर्व जीवों पर करुणा होवे सो भगवान. १६ जिसको तीन काल का ज्ञान होवे सो भगवान २० जिसको वस्त्राभूषण, खानपान, फल · फूल भोगबिलास आदि कोई भी विषय की इच्छा न होवे सो.भगवान, २१ जिसने शब्द, रूप, रस, गन्धं और स्पर्श . इन पांचों विषयों का परित्याग किया सो भगवान
SR No.010304
Book TitleJain Shikshan Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
PublisherJain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publication Year
Total Pages67
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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