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________________ प्रस्तुत ग्रन्थ लेखक के विषय मे ३ प्रधानाचार्य पूज्य सोहन लाल जी महाराज पजाब केशरी प्राकाड विद्वान् जैनाचार्य हृदय समाट पूज्य काशी राम जी महाराज की भाति आप भी अपने पथ पर निर्भयता से अग्रसर हो रहे है और उन्ही के सत्यादर्शों पर चल रहे है सत्य अहिंसा पथ पर अग्रसर होते हुए श्रमण सस्कृति के अमर देवता अहिंसा मूर्ति प्रेमावतार क्षमा सिन्धु केवल ज्ञान दर्शनाराधक करुणाभण्डार श्रमण भगवान महावीर का धर्म प्रचार्थ कर सम्वत २०२० का चातुर्मास जैन सघ की प्राग्रहभरी बिनती पर अम्बाला शहर स्वीकार किया। आपने अपनी विशेषताओ से अपने आदर्शों से जन हित कार्यो से और अपने महान गुणो से इस निरस मानव लोक का तिमिर प्लावित मानव ससार को जैन धर्म - रूपी दिवाकर की किरणे विस्तृत कर चमत्कृत कर दिया और जो मुरझाया हुआ तथा शुष्क उपवन था वह हग भरा तथा लहलहाता हुग्रा बना दिया। और पाप ने दानवता के स्थान पर मानवता ग्रहण करना स्वार्थ वृति तज कर परमार्थ वति जागृत करना विश्व कल्याण मे ही निज कल्याण की भावना रखना तथा अन्य की भलाई के लिए अपने प्राणों की आहुति दे देना आदि इस प्रकार के उपदेश सुनाकर जनता को मंत्र मुग्ध बना दिया। ___ आप एक लोक प्रिय सन्त और जनता की श्रद्धा भावना के केन्द्र हैं साधुवों की व्यवस्था मे श्राप श्री हम सब के लिए एक प्रादर्श हैं। श्रमण सस्कृति मानव सस्कृति जैन सस्कृति का रहस्य बतलाते हुए अाप ने फरमाया था कि जो सुख शान्ति दूसरे को देने मे हैं वह लेने मे नही जो ग्रानन्द अन्य को देने मे हैं वह लेने मे नही जो त्याग मे है वह भोग मे नही वही स्वर आज भी हमारी जैन समाज में गूजायमान हो रहा है। संघ शिरोमणि चरित्र नायक चूड़ामणि, चितामणि रत्न प्रातः स्मरणीय कवि सम्राट केशरी सम विशाल कार्य तप पुत. ब्रह्मचर्य से तेज युक्त प्रफ्फुलित बदन दिव्य ज्योति सुडोल भव्य शरीर हस्ती वत गम्भीर चाल चितन शील नयने नवनीत सम मृदु हृदय उन्नत ललाट तेजो मय मुख स्वर्ण रूप सरम मरल कोमल ओजस्वी प्रवाह मयी प्रभाव शाली जादू भरी अमृत मयो वाणी प्रादि गुणों महित गुरुदेव
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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