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________________ जैन महाभारत उ०- मुनि गण की संगति से ही मनुष्य बुद्धिमान होता है। प्र० -- भूमि से भी भारी वस्तु क्या है ? उ० - सन्तान को कोख मे धरने वाली माता भूमि से भ भारी होती है । प्रि० - प्रकाश से भी ऊँचा कौन है ? T उ० - पिता । - प्र० - हवा से भी तेज चलने वाला कौन है ? १५६ उ० मन | प्र० - घास से भी तुच्छ कौन सी चीज है ? उ०- चिन्ता | - प्र० -- विदेश जाने वाले का कौन मित्र होता है ? उ०--विद्या | प्र० - घर ही मे रहने वाले का कौन साथी होता है ? उ०- पत्नि और धर्म । - प्र०—मरणासन्न - वृद्धे का कौन मित्र होता हैं ? उ० - दान, क्यो कि बही मृत्यु के बाद अकेले चलने वाला जीव के साथ-साथ चलता है । प्र० - बरतनो में सब से बडा कौन सा है ? ----- उ०- भूमि ही सब से बड़ा बरतन है जिस मे सब कुछ समा सकता है । -- 7 प्र० - सुख क्या है ? उ०- मुख वह चीज है जो गोल और सच्चरित्रता पर स्थित है । " T प्र०—किस के छूट जाने पर मनुष्य सर्व प्रिय बनता है ? उ०--अभाव के छूट जाने पर !. प्र० - किस चीज़ के खो जाने से दुख नही होता ? उ०- क्रोध के खो जाने से । प्र० - किस चीज को गंवा कर मनुष्य धनी बनता है ? उ०- लालच को 1 = प्र० - युधिष्ठिर । निश्चित रूप से बतायी कि किसी का ब्राह्मण होना किस बात पर निर्भर करता है ? उस के जन्म पर विद्या पर या शील स्वभाव पर ? 3
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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