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________________ 2 *{ * द्वादस परिच्छेद * 2 *************** बकासुर वध, - *************** द्रौपदी के साथ पाचों पाण्डव एक चक्री नगर में पहुंचे । वे एक ब्राह्मण के घर ठहर गए और भिक्षा माग कर अपनी गुजर करने लगे । कहते हैं भिक्षा से जो मिलता, उस मे से आधा भीम को दे देते और शेष मे चारो भ्राता तथा द्रौपदी गुजर करते । क्यों, कि भीम सेन में जितनी अमानुषिक शक्ति थी उतनी ही अमानुषिक C भूख भी थी। यही कारण था कि लोग उसे वृकोदर भी कहते थे । वृकोदर का अर्थ है भेडिये के से उदर वाला । भेडिये का पेट छोटा सा प्रतीत होने पर भी मुश्किल से ही भरता है । भीम सेन के पेट की भी यही दशा थी भिक्षा से जो मिलता था उसमे से आधा उसे मिलने पर भी उस से उसका पेट न भरता, । हनेशा ही भूखा रहने के कारण वह दुबला भीम सेन का यह दशा देख कर द्रौपदी और उसे सन्तोप न होता । होता जा रहा था । युधिष्ठिर बड़े चिन्तित रहने लगे । होती और वह बुरी जब थोडे से अन्न से भोम की पूर्ति न तरह परेशान रहने लगा तो उस ने एक कुम्हार से मित्रता कर ली और उसे मिट्टी खोदने यादि मे सहायता देकर प्रसन्न कर लिया | कुम्हार उस से वहुत प्रसन्न था उसने एक वडी हाण्डी बना कर उसे दी । भीम जब हाढी को लेकर भिक्षा लेने जाता तो उसके
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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