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________________ जैन महाभारत 'हे दया सागर तपस्वीराज | न जाने मेरे किन दुष्कर्मों का उदय हुआ कि आपको दो-दो बार मेरे घर से निराहार लौटना पड़ा। इस महान् अपराध के लिए मुझे आप जो भी दण्ड दे मै उसे सहर्ष सहने को तैयार हू । मैं इस अपराध की क्षमा नहीं चाहता, प्रत्युत उसके लिए यथोचित प्रायश्चित करने के लिए ही श्री सेवा मे उपस्थित हुआ हूँ। दीजिए-दीजिए तापसराज । इस गुरुतर अपराध का मुझे दड दीजिए || यह मेरा मस्तक आपके चरणो मे झुका हुआ है, यह शरीर समर्पित है । आप यथोचित इसकी ताड़ना कीजिए।' राजाको इस प्रकार हार्दिक पश्चाताप करते हुए देख कर तपस्वी का हृदय करुणा-विगलित हो गया और वे बोले 'इसमे तुम्हारा दोष या अपराध नहीं है । पिछले जन्म में जिसने जैसे कर्म किए हैं उसीके अनुसार सब कार्य हो रहे है । मेरे लिए इस बार भी आहार का योग नहीं बन्धा था इसलिए तुम्हारी बुद्धि पर पर्दा पड़ गया। जो कुछ हुआ सो हुआ, भविष्य मे सावधान रहना । फिर किसी साधु-सन्त या तपस्वी को इस प्रकार कष्ट न पहुँचाना । यह सुन महाराज उग्रसेन बहुत प्रसन्न हुए और हाथ जोड़कर 'प्रतिज्ञा की कि ऐसा प्रमाद फिर कभी नहीं होगा । और अपने दो बार के अपराधों को क्षमा करवाते हुए तीसरी बार भी उस तापस को अपने यहाँ आहार के लिए निमंत्रित कर दिया। तपस्वी ने भी साधु स्वभाव के कारण इस बार फिर राजा के यहाँ आहार लेने की स्वीकृति देदी। तापसराज यथा समय पारण के दिन उग्रसेन के यहाँ पहुँचे । पर इस दिन ठीक समय पर राजधानी में कुछ ऐसी अघटित घटना घटी कि महाराजा का ध्यान और सब बातो से हट कर केवल उसी घटना की ओर लग गया, और आज भी वे तपस्वी के निमन्त्रण की बात भूल गये । तपस्वी ने देखा कि तीसरो वार भी राज प्रासादों मे उन्हे कोई पूछने वाला नहीं है अत. वे पुनः विना आहार लिये ही चले आये । तीन मास के निरन्तर उपवास के कारण मुनिराज का शरीर अत्यन्त कृश हो चुका था । अव भी आहार न मिलने के कारण उनमे शरीर धारण की और अधिक क्षमता न रह गई थी। एक तो पहले ही एक एक मास के बाद वे यथा प्राप्त रुखा सूखा अन्न ग्रहण करने के कारण अत्यन्त कृश थे और अव तीन मास से वह भी न मिलने के कारण कृशतर हो गये।
SR No.010301
Book TitleShukl Jain Mahabharat 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year1958
Total Pages617
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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