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________________ ४२४ जैन महाभारत mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmrrrrrammmrammar देखने वाले अचम्भे में पड़ गए क्योंकि यह तो एक ऐसी घटना थी जैसे न कभी देखी थी और न सुनी ही थी। यह दोनों हाथी तो पहाड़ की तरह ऊचे ओर बहुत ही बडे डील ढोल के थे। जब कंस ने महावतों से हाथियों का इस प्रकार मारा जाना सुना तो श्रीकृष्ण पर उसे और भी काध आया । और वह सोचने लगा कि आज अखाड़े में उसे ललकार कर किसी के द्वारा मरवा ही डालना चाहिए। ___ श्रीकृष्ण के साथ वे लोग जा गोकुल से मल्लयुद्ध देखने आये थे, और अब तक उनका कमाल देख रहे थे, पीछे पीछे चल पड़े। श्रीकृष्ण और बलराम दोनो भाई ग्वालो के इस दलबल के साथ एक स्थान पर जा बैठे। अखाडा प्रारम्भ हुश्रा, पहलवानो के जोड़ मैदान म आते रहे, मल्लयुद्ध हाना प्रारम्भ हो गया। पहलवानों ने अपने अपने दाव पेच दिखाये । इधर बलराम सकेत के द्वारा मच पर बैठे हुयों का परिचय कराते जाते । कस, वसुदेव, समुद्रविजय आदि को दिखाकर उन्होंने उन के बारे में सभी जानने योग्य बातें बता दीं। अखाडे में मल्ल युद्ध चलता रहा, कितने ही योद्धा मैदान में आये। उन्होंने भुजा दण्ड झटकार कर और मल्ल युद्ध सम्बन्धी कला का प्रदर्शन करके दर्शको का मनोरंजन किया। अन्त में कस के सकेत से चाणूर उठा। वह हाथी समान शरीर वाला योद्धा अखाड़े मे आया और उच्च स्वर में बोला-"जिस किसी को अपने बल पर अभिमान हो वह मेरे साथ मल्ल युद्ध करे।" घोषणा करके उस ने चारों ओर दृष्टि डाली। कुछ देर बाद वह फिर बोला-"क्या जगत् से काई ऐसा योद्धा है जो मेरा सामना करने को तैयार हो ? क्या किसी माँ ने ऐसा पुत्र जन्मा है जो मुझ से लड़ने का साहस करे। यदि यहा कोई ऐसा माँ का लाल उपस्थित हो, जो । अपने को बलिष्ठ मानता हो, वह मेरे सामने आने का साहस करे। श्राओ, है कोई मां का लाल जिस में इतना पल हो कि मेरी टक्कर सम्भाल सके।" उस ने इसी प्रकार कई बार घोषणा की, कई बार चुनौती दी, पर ___ चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ था। किसी को इतना साहस न हुआ कि सामने आकर उसकी चुनौती स्वीकार करता। यह देख कर श्रीकृष्ण
SR No.010301
Book TitleShukl Jain Mahabharat 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year1958
Total Pages617
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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