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________________ ४२० जैन महाभारत राजकुमारों के पास दूत भेजकर उन्हें बुला लिया और उन्हे मल्ल युद्ध के समय उपस्थित और सावधान रहने को कहा। इस प्रकार उधर कस कृष्ण के मारने का विफल प्रयत्न करता तो इधर वसुदेव उसे बचाने का सफल प्रयास करते रहते । बलराम द्वारा रहस्योद्घाटन और मल्ल युद्ध के लिए प्रस्थान जब मल्त युद्ध का समाचार गोकुल पहुंचा तो कृष्ण उसे देखने को लालायित हो गए। गोकुल के कितने ही लोग, ग्वाले और अन्य मल्लयुद्ध देखने के लिए जा रहे थे, उन्होंने भी बलराम जी से कार्यक्रम निश्चित कर लिया। जिस दिन मल्लयुद्ध होना था, श्रीकृष्ण और बलराम प्रात उठे और यशोदा से कहा-'माता जी पानी गरम कर दीजिए क्योंकि हमें शीघ्र ही स्नान करके मथुरा जाना है। "मथुरा क्यों जा रहे हो।" मां ने पूछा । "मल्लयुद्ध देखने ।" कृष्ण घोले । "तुम वहां जाकर क्या करोगे, काम धाम तो कुछ करना नहीं बस उत्पात करने की ठान ली है।" यशोदा ने डांट कर कहा। "बलराम बोल पड़े-"मल्लयुद्ध देखने जाने में भी कोई उत्पात हो जाता है। सारे गोकुलवासी जा रहे हैं। कोई हम ही तो नहीं जा रहे।" "नहीं, मैं तुम दोनों की रग रग जानती हूँ। कोई झगड़ा टटा खड़ा कर लोगे, राजाओं का मामला है । मैं नहीं जाने दूगी। करोगे तुम और भरना पड़ेगा हमें ।" यशोदा ने झिड़क दिया। कृष्ण ने हठ पूर्वक कहा-माता जी ! आप विश्वास रक्खें हम कोई उत्पात नहीं करेंगे। सीधे मथुरा जायेंगे और तमाशा देखकर वापिस सीधे घर आजायेगे। पाप हमे निस्संकोच आज्ञा प्रदान कीजिए।" 3 "मैं कैसे आज्ञा दे सकती हूँ ? तुम तमाशा देखने नहीं कोई मंझट मोल लेने जा रहे होगे । कस का क्रोध भयकर है । तुम ने कुछ ऐसी वैसी बात कर दी और वह रुष्ट हो गया तो क्या पता, तुम्हारी क्या बुरी दशा हो, भौर मैं यहाँ रोती ही फिरू। ना मैं तुम्हें नहीं जाने दूंगी।" यशोदा ने कहा। इस पर बलराम खीझ उठे और बोले-"गूजरी ही तो हो, डरती
SR No.010301
Book TitleShukl Jain Mahabharat 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year1958
Total Pages617
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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