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________________ 1 · जैन महाभारत "कौन है वह ।" क्रोधी कंस ने क्रुद्ध हो कर पूछा । पण्डित बोले - " राजन । जो + केशी अश्व, अरिष्ट वृषभ को मार डालेगा, काली नाग का दमन करे, चागुर मल्ल को पछाड़ देगा, पदमोत्तर और चपक हाथी को परास्त कर देगा । यादव कुल का प्राशास्ता होगा, उसी गोवर्धन गिरधारी के हाथों आप का नाश होगा। हमें क्षमा करे । ज्योतिष यही कहता है ।" “उस की कोई और पहचान ?" कस ने क्रोध को पीते हुए कहा । पण्डित बोले, उस के लक्षण तो कितने ही हैं, उन मे से कुछ पहले ही बता चुके, शेष कुछ यह हैं । ४०८ जो आप के देवाधिष्ठित वज्रमय उस 'सारग' नामक धनुष की प्रत्यचा चढ़ा कर आप की भगिनी सत्यभामा का वरण करे, वही आप के प्राणों का हर्ता होगा और उसी से वह आगे चल कर "सारग पाणी" के नाम से विख्यात होगा । दुखियो की पीर हरने वाला, सज्जनो, पण्डितो और विद्वानो का संरक्षक, सहायक और हितचिन्तक होगा, और दुष्टो का मान मर्दन करेगा । बस वही आप का वैरी है । कस कुछ चिन्तित हो गया, वह समझने लगा कि अवश्य ही उस दिन की देवकी की बातें भी रहस्य पूर्ण थी । अवश्य ही देवकी के पुत्र ही हुआ होगा, जिसे कहीं छुपा दिया गया है । परन्तु क्या वह इतना बलवान है कि मुझे भी परास्त कर सके ? कस यह कभी भी मानने को तैयार नहीं था कि ससार में कोई उससे भी बढ़ कर बलवान । उसने सोचा कि यदि वास्तव में देवकी ने ऐसे पुत्र को जन्म दिया हैं तो इससे पूर्व की वह बड़ा हीकर अधिक बलवान हो, तुरन्त उसका पता लगाकर मार डालना चाहिए । यह सोच कर उसने केशी अश्व छुड़वाया । अश्व लोगों को मारता, पशुओं को घायल करता, फसलें उजाड़ता, झोपड़ियों को नष्ट करता, बालको को कुचलता, ग्वालों को मारता हुआ घूमने लगा । गोकुलवासी केशी अश्व के आतक से भयभीत हो गए । उन्हें घरों से निकलने का भी साहस न होता। सभी ने अपने अपने द्वार बन्द कर लिये । ज्यों ही केशी अश्व गोकुल में घुसा लोग चीखने लगे, भय के मारे अपनी सन्तानों को लेकर वे छुप गए। गौ वंश बुरी तरह चीत्कार करने लगा । लोग उसकी हत्या कस I + दुर्दान्त गर्दभ और दुर्दमनीय मेष इनको जो पछाड़ेगा । पाठान्तर
SR No.010301
Book TitleShukl Jain Mahabharat 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year1958
Total Pages617
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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