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________________ ६४ जैन महाभारत wwwmarwarrammam षड्गकौशिकी में ऋषभ षड्ग गांधार और मध्यम ये ग्रह हैं। तीनों प्रकार की जातियों के ग्रह और न्यासो का वर्णन कर दिया गया है। तथा उसके ग्रह के आदि अश गाधार ऋषभ मध्यम और पचम है एवं अल्प, अंश, षड्ग, ऋषभ, मध्यम और पंचम है। मध्यम जाति में गांधार और धैवत ग्रहाश है निषाद षड्ग गांधार मध्यम और पंचम ये रक्तगाधारी में ग्रहांश हैं कौशिकी मे ऋषभयोग के साथ समस्त ग्रहों से मडित समस्त स्वर हैं । तथा ग्रहाश षडग और मध्यम है। इस प्रकार स्वजातियों में ग्रह और अंश त्रेसठ समझ लेने चाहिए। तथा समस्त जातियों मे अंशों के समान ही ग्रह जानने चाहिए और सब जातियों मे तीन प्रकार के गुण है । एक से लेकर बढ़ते-बढ़ते छः गुणे स्वर हो जाते है और एक स्वर, दो स्वर तीन स्वर, चार स्वर पाच स्वर, छ स्वर और सात स्वर इस क्रम से होते हैं जातियों में इन स्वरों की जो ग्रहांश कल्पना की गई है वह पहिले की जा चुकी है। षडग मे निषाद और ऋषभ को छोड़कर शेष पचम्बर होते है और वहां गाधार और पचम उपन्यास होते है । षष्टस्वर न्यास होता है और ऋषभ एव सप्तम स्वर का लोप होता है एव गाधार का विशेष बाहुल्य रहता है । आर्षभी मै अश निषाद धैवत उपन्यास और ऋषभ न्यास होता है । धैवती मे धैवत और ऋषभ न्यास और धैवत ऋषभ एव पचम उपन्यास होते है । षड्ग और पचम से रहित पंचस्वर माने जाते हैं और पचम के बिना पाड्व माना जाता है। पचस्पर्श और षाड्व आरोहण कोटि मे भी ले जाने चाहिये और इनका उलंघन भी कर देना चाहिये । तथा इसी प्रकार निषाद ऋषभ और बलवान गांधार का भी आरोहण लघन होता है । निषाद और निषाद के अश गांधार और ऋषभ ये उपन्यास हैं और सप्तम स्वर न्यास कहा जाता है। धैवती जाति मे भी षाड्व औड्व स्वर होते हैं और इनका बल (आरोहण) और उलघन होता है। षडग कौशिकी के गाधार और पचम ये ग्रहांश हैं और षड्ग पंचम और मध्यम उपन्यास हैं । यहाँ पर गाधार चाहे वह अधिक स्वर वाला हो वा अल्प स्वर वाला ही - न्यास होता है और धैवत ऋपभ दुर्बल पड़ जाते है। षड्ग मध्यम * निषाद धैवत ये षड्गोपदीच्यवा में ग्रहांश है। मध्यम न्यास है और धेवतपड्ग ऋषभ गांधार बलवान होते है । षड्ग और मध्यम सबके
SR No.010301
Book TitleShukl Jain Mahabharat 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year1958
Total Pages617
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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