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________________ ६. उत्थित पद्मासन विधि-पद्मासन में बैठकर दोनो हथेलियो को भूमि पर टिकाइए और शरीर को भूमि से ऊपर उठाइए। समय-दो-तीन मिनट। फल-१. पद्मासन के लाभ। २. हथेली के स्नायुओ की सशक्तता। इसे दोलासन या लोलासन भी कहा जाता है। कुछ आचार्यो ने पद्मासन को पर्यकासन और अर्धपद्मासन को अर्धपर्यकासन माना है। वीरासन विधि-बद्ध पद्मासन की तरह दोनो पैरो को रखिए और हाथो को पद्मासन की तरह रखिए। समय-क्रमश. तीन घंटे तक बढाए। फल-धैर्य, सतुलन और कष्ट सहने की क्षमता का विकास । कुछ आचार्यो ने कुर्सी पर बैठकर उसे निकाल देने पर जो मुद्रा बनती है, उसे वीरासन माना है। सुखासन विधि-किसी एक पैर को वृपण के पास ऊरु के निम्नवर्ती भाग से सटाकर बैठिए और दूसरे पैर को जघा और ऊरु के बीच मे रखिए। दूसरी वार मे पैरो का क्रम बदल दीजिए। समय-यह ध्यानासन है, इसलिए चाहे जितने समय तक किया जा सकता है। फल-कामवाहिनी नाडी पर नियंत्रण। कुक्कुटासन विधि-पद्मासन में बैठकर ऊरु और जघा के बीच मे दोनो हाथो को कोहनी तक नीचे ले जाइए और हथेलियो को भूमि पर टिका दीजिए तथा उनके वल पर सारे शरीर को ऊपर उठाइए। समय-एक मिनट से पाच मिनट तक। मनोनुशासनम् । ६३
SR No.010300
Book TitleManonushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages237
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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