SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६. जठर मे वायु-धारण से लाभ १२७ १७. हृदय मे वायु-धारण से लाभ १२७ १८. कूर्मनाडी मे वायु-धारण से लाभ १२८ १६. कूर्मनाडी की परिभाषा १२८ २०. कठकूप मे वायु-धारण से लाभ १२८ २१. जिह्वाग्र मे वायु-धारण से लाभ १२८ २२. नासाग्र मे वायु-धारण से लाभ १२८ २३. चक्षु मे वायु-धारण से लाभ १२८ २४ कपाल मे वायु-धारण से लाभ १२८ २५ ब्रह्मरन्ध्र मे वायु-धारण से लाभ वायु-विजय के लाभ १२८ २६ सिद्धि की प्रक्रिया १३० २७. मनोनुशासन का लाभ सिद्धि की प्रक्रिया १३० १३२-१५० छठा प्रकरण १ महाव्रत की परिभाषा १३२ २. अहिसा की परिभाषा १३२ ३ सत्य की परिभाषा १३२ ४ अस्तेय की परिभापा १३२ ५. ब्रह्मचर्य की परिभाषा १३२ ६ अपरिग्रह की परिभाषा १३२ ७-१३. महाव्रत की भावना १३२ १४ अणुव्रत की परिभापा १३२ १५. श्रमणधर्म के प्रकार १३२ १६ क्षमा की परिभाषा १३२ १७ मार्दव की परिभाषा १३२ १८. आर्जव की परिभाषा १३२ १६. शौच की परिभाषा १३२ २०. सत्य का निरूपण १३२
SR No.010300
Book TitleManonushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages237
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy